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Ayurveda Brazil: आयुर्वेद के 40 वर्ष: ब्राजील से भारत तक वैश्विक स्वास्थ्य सहयोग की नई गाथा

Ayurveda Brazil: आयुर्वेद के 40 वर्ष: ब्राजील से भारत तक वैश्विक स्वास्थ्य सहयोग की नई गाथा

ब्राजील में आयुर्वेद चिकित्सा सेवा के 40 वर्ष पूरे होने के अवसर पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय आयुर्वेद सम्मेलन ने भारत और लैटिन अमेरिकी देशों के बीच स्वास्थ्य सहयोग की दिशा में एक ऐतिहासिक मील का पत्थर स्थापित किया। स्वामी विवेकानंद सांस्कृतिक केंद्र और कोनायुर, साओ पाउलो द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित इस दो दिवसीय आयोजन में ब्राजील, अर्जेंटीना, चिली, पेरू सहित कई लैटिन अमेरिकी देशों के विशेषज्ञों, शिक्षकों, चिकित्सकों और शोधकर्ताओं के साथ भारत से आए विद्वानों और छात्रों ने भी सक्रिय भागीदारी की। भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के तत्वावधान में आयोजित यह सम्मेलन न केवल आयुर्वेद की वैश्विक स्वीकार्यता का प्रमाण बना, बल्कि पारंपरिक चिकित्सा की दिशा में तेजी से बढ़ते अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को भी नई ऊर्जा प्रदान करता है।

कार्यक्रम का शुभारंभ ब्राजील में भारत के राजदूत दिनेश भाटिया ने किया। उन्होंने इस अवसर पर कहा कि भारत और ब्राजील के बीच स्वास्थ्य, पारंपरिक चिकित्सा और अनुसंधान के क्षेत्र में बढ़ता सहयोग दोनों देशों के लोगों को लाभ पहुंचाने वाला है। भाटिया ने यह भी रेखांकित किया कि आयुर्वेद की वैज्ञानिक मान्यता अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लगातार मजबूत हो रही है और इसी क्रम में 17 से 19 दिसंबर 2025 को नई दिल्ली में आयोजित होने वाले विश्व स्वास्थ्य संगठन और आयुष मंत्रालय द्वारा संयुक्त वैश्विक पारंपरिक चिकित्सा शिखर सम्मेलन में यह प्रगति दुनिया के सामने और अधिक सशक्त रूप से प्रदर्शित होगी।

आयुष मंत्रालय के सचिव डॉ. (वैद्य) राजेश कोटेचा ने अपने संबोधन में कहा कि आयुर्वेद एक ऐसी जीवन पद्धति है जो समावेशिता, करुणा और शरीर, मन तथा पर्यावरण के बीच संतुलन का संदेश देती है। उन्होंने बताया कि भारत और ब्राजील के बीच आयुर्वेद आधारित अनुसंधान, शिक्षा और चिकित्सा सुविधा को बढ़ावा देने के लिए कई समझौते हुए हैं। इनमें दोनों देशों के स्वास्थ्य मंत्रालयों के बीच हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन और राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान, जयपुर का ब्राजील के प्रमुख विश्वविद्यालयों के साथ विकसित संस्थागत सहयोग शामिल है। यह सहयोग आयुर्वेद को वैश्विक स्वास्थ्य प्रणाली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनाने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।

डॉ. कोटेचा ने ब्राजील में पिछले चार दशकों से आयुर्वेद को बढ़ावा देने वाले प्रशिक्षकों, शोधकर्ताओं, चिकित्सकों और संस्थानों की विशेष सराहना की। उन्होंने यह भी कहा कि भारत सरकार, विशेषकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में, साक्ष्य-आधारित पारंपरिक चिकित्सा को वैश्विक स्तर पर स्थापित करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। केंद्रीय आयुष मंत्री प्रतापराव जाधव का संदेश साझा करते हुए उन्होंने आश्वस्त किया कि भारत आयुर्वेद के अंतर्राष्ट्रीय विस्तार और शोध सहयोग को और अधिक मजबूत बनाने के लिए हर संभव प्रयास करेगा।

इस सम्मेलन ने ब्राजील और लैटिन अमेरिका में आयुर्वेद की निरंतर प्रगति को नई दिशा देते हुए इस प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धति को वैश्विक स्वास्थ्य मानचित्र पर और अधिक उजागर किया। नए सहयोग, नए शोध और नई नीतिगत समझ का यह संगम आने वाले वर्षों में आयुर्वेद को वैश्विक स्वास्थ्य प्रणाली का अभिन्न भाग बनाने की दिशा में निर्णायक कदम होगा।

 

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