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Faridabad: सूरजकुंड की अरावली पहाड़ियों में वन विभाग और नगर निगम की बड़ी कार्यवाही, करोड़ों की जमीन कब्जामुक्त

Faridabad: सूरजकुंड की अरावली पहाड़ियों में वन विभाग और नगर निगम की बड़ी कार्यवाही, करोड़ों की जमीन कब्जामुक्त

रिपोर्ट: संदीप चौहान

फरीदाबाद के सूरजकुंड थाना क्षेत्र में अरावली की पहाड़ियों पर बने अवैध फार्म हाउसों के खिलाफ वन विभाग और नगर निगम ने संयुक्त कार्यवाही करते हुए एक बड़ा अभियान चलाया। इस कार्रवाई के दौरान करोड़ों रुपये की सरकारी जमीन को अतिक्रमण से मुक्त कराया गया। अधिकारियों के अनुसार यह जमीन पिछले कई वर्षों से अवैध कब्जाधारियों के नियंत्रण में थी और यहां फार्म हाउस बनाकर निजी इस्तेमाल किया जा रहा था।

कार्यवाही के दौरान जैसे ही जेसीबी और प्रशासनिक टीम मौके पर पहुंची, स्थानीय लोगों ने भारी विरोध शुरू कर दिया। विरोध कर रहे लोगों ने अधिकारियों को जमीन के कागजात दिखाकर अपनी बात रखने की कोशिश की और कार्यवाही को रोकने की मांग की। कई लोगों ने इस कार्रवाई को पक्षपातपूर्ण बताया और आरोप लगाया कि सिर्फ कुछ ही लोगों के फार्म हाउसों को निशाना बनाया गया, जबकि अन्य अतिक्रमण यथावत बने हुए हैं।

स्थानीय निवासियों ने प्रशासन पर राजनीतिक दबाव में काम करने और भेदभावपूर्ण रवैया अपनाने का भी आरोप लगाया। उनका कहना था कि कार्रवाई निष्पक्ष नहीं है और चुनिंदा फार्म हाउसों को ही तोड़ा गया है। इससे नाराज लोगों ने प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी भी की।

हालांकि भारी विरोध की आशंका को देखते हुए मौके पर बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया था, जिससे स्थिति पर नियंत्रण बनाए रखा गया और कार्यवाही बिना किसी बड़े हंगामे के पूरी की जा सकी। प्रशासन की यह कार्रवाई पूरे इलाके में चर्चा का विषय बन गई है और अतिक्रमण करने वालों में भय का माहौल है।

वन विभाग और नगर निगम के अधिकारियों ने साफ किया कि यह कार्रवाई उच्च स्तर से मिले निर्देशों के तहत की गई है और आगे भी ऐसे अवैध निर्माणों के खिलाफ अभियान जारी रहेगा। अधिकारियों ने यह भी कहा कि सभी अवैध कब्जों की सूची तैयार की जा रही है और अगली कार्यवाहियों में अन्य अतिक्रमणकारियों पर भी शिकंजा कसा जाएगा।

प्रशासन की इस कार्रवाई को जहां एक तरफ कानून व्यवस्था की दिशा में सख्त कदम माना जा रहा है, वहीं दूसरी ओर स्थानीय लोगों के विरोध और पक्षपात के आरोपों ने इसे राजनीतिक बहस का मुद्दा भी बना दिया है। अब देखना यह होगा कि प्रशासन आगे इस दिशा में कितनी पारदर्शिता और निष्पक्षता बरतता है।

ममूटी ने कहा कि उन्हें ‘मेगास्टार’ की उपाधि पसंद नहीं है, उन्हें लगता है कि उनके जाने के बाद लोग उन्हें याद नहीं रखेंगे

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