
नई दिल्ली/एनसीआर, 2 अगस्त : कोलकाता में इलाज के दौरान ब्रेन डेड महिला के परिजनों ने जहां अंगदान के जरिये एक मिसाल कायम की। वहीं, फोर्टिस अस्पताल गुरुग्राम के डॉक्टरों ने मृतका के दिल को अंग विफलता से पीड़ित युवक के सीने में प्रत्यारोपित करके उसकी जान बचा ली। ह्रदय प्रत्यारोपण कराने वाला मरीज डाइलेटेड कार्डियोमायोपैथी की समस्या से पीड़ित था।
दरअसल, डोनर हार्ट को कोलकाता के एक सरकारी अस्पताल से लाया गया था जहां सड़क दुर्घटना में घायल 54-वर्षीय मरीज को भर्ती किया गया था, और डॉक्टरों ने उन्हें ब्रेन डैड घोषित कर दिया था। बीते 31 जुलाई को राष्ट्रीय अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (एनओटीटीओ) से मंजूरी मिलने के बाद हार्ट को हवाई मार्ग से नई दिल्ली लाया गया। इसके बाद दिल्ली और गुरुग्राम पुलिस ने एक ग्रीन कॉरिडोर तैयार किया जिसकी बदौलत आईजीआई एयरपोर्ट से फोर्टिस गुरुग्राम के बीच 18 किलोमीटर की दूरी, केवल 13 मिनटों में तय की गई। जबकि भारी बारिश और ट्रैफिक जाम के चलते सड़कों पर वाहन रेंगने के लिए मजबूर थे।
आखिरकार कोलकाता से गुरुग्राम तक सुरक्षित तरीके से लाए गए हृदय को कार्डियो थोरेसिक वैस्कुलर सर्जरी के वरिष्ठ डॉ उद्गीथ धीर के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम ने रोहतक हरियाणा के 34 वर्षीय युवक के सीने में सफलतापूर्वक ट्रांसप्लांट किया। ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया पूरी होने के बाद से मरीज को लगातार कार्डियक आईसीयू में निगरानी में रखा गया है और उनकी हालत स्थिर बनी हुई है।
एक अनुमान के मुताबिक, भारत में हर साल करीब 5 लाख भारीतय ऑर्गन फेलियर की समस्या से जूझते हैं, और केवल 2 से 3 प्रतिशत को ही जीवनरक्षक ट्रांसप्लांट का लाभ मिल पाता है। हर साल, सैंकड़ों भारतीय अंग दान की प्रतीक्षा करते हुए अपनी जिंदगी से हाथ धो बैठते हैं। अंग दान/प्रत्यारोपण के बारे में जागरूकता के अभाव और गलतफहमियों के चलते, अंग दानकर्ताओं की लगातार कमी बनी हुई है। और हर साल, दान किए गए अंगों तथा ट्रांसप्लांट का इंतजार करने वाले लोगों के बीच का अंतर बढ़ता जा रहा है।