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नई दिल्ली: युवाओं को भी गिरफ्त में ले रहा पार्किंसन रोग

नई दिल्ली: - पार्किंसन रोग को नियंत्रित करने के लिए शारीरिक गतिविधियों में इजाफा जरुरी

नई दिल्ली, 28 अप्रैल : 60 वर्ष से अधिक आयु के बुजुर्गों को प्रभावित करने वाला पार्किंसन रोग अब देश के 30 वर्ष से 40 वर्ष आयु के युवाओं को भी प्रभावित कर रहा है। यह न्यूरोलॉजिकल विकार व्यक्ति को स्मृति, कंपन और चाल संबंधी समस्याओं से ग्रस्त कर देता है।

यह जानकारी एम्स दिल्ली के तंत्रिका विज्ञान केंद्र की सदस्य और मूवमेंट डिसऑर्डर विशेषज्ञ डॉ रूपा राजन ने सोमवार को दी। उन्होंने कहा, पश्चिमी देशों में 60 वर्ष से अधिक आयु में होने वाला पार्किंसन रोग (पीडी) हमारे देश में 50 वर्ष से अधिक आयु के वयस्कों में पाया जाता है लेकिन अब ये रोग 30 वर्ष से 40 वर्ष आयु के युवाओं में भी पाया जा रहा है। जो बेहद चिंता का विषय है। इस न्यूरो रोग से बचाव के लिए लोगों को अपनी दिनचर्या में बदलाव लाने के साथ शारीरिक गतिविधियों में इजाफा करना चाहिए।

डॉ राजन ने कहा, पीडी एक न्यूरोडीजेनेरेटिव रोग है जिससे देश के करीब छह लाख लोग प्रभावित हैं और आने वाले दशकों में भारत में बुजुर्गों की बढ़ती संख्या के साथ इन संख्याओं में तेजी से वृद्धि होने की आशंका है। ऐसे में इसके लक्षणों को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करने के लिए दवाएं, डीप ब्रेन स्टिमुलेशन और इन्फ्यूजन थेरेपी जैसी सर्जरी सहित कई प्रभावी उपचार उपलब्ध हैं। जो पार्किंसंस रोग से पीड़ित व्यक्ति के जीवन की गुणवत्ता में सुधार ला सकते हैं।

डीप ब्रेन स्टिमुलेशन ?
डीप ब्रेन स्टिमुलेशन एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें मस्तिष्क के मूवमेंट को नियंत्रित करने वाले हिस्सों में कीहोल सर्जरी के माध्यम से इलेक्ट्रोड डाले जाते हैं। इलेक्ट्रोड को बाद में छाती की दीवार की त्वचा के नीचे डाले गए पेसमेकर से जोड़ा जाता है। यह पेसमेकर पीडी के लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए मस्तिष्क को विद्युत उत्तेजना प्रदान करता है, जिसके परिणामस्वरूप जीवन की गुणवत्ता में सुधार होता है और मरीज को दवा की कम जरुरत पड़ती है।

क्या है पीडी ?
पीडी या पार्किंसन रोग मस्तिष्क की एक बीमारी है, जिसमें मस्तिष्क के एक हिस्से में कुछ विशेष कोशिकाएं जिन्हें सब्सटेंशिया निग्रा कहा जाता है, धीरे-धीरे कम होने लगती हैं। इससे डोपामाइन नामक न्यूरोट्रांसमीटर रसायन की कमी हो जाती है और व्यक्ति न्यूरोलॉजिकल विकारों का शिकार हो जाता है।

पीडी के लक्षण ?
पीडी के सामान्य लक्षणों में अंगों का कंपन या हिलना, दैनिक गतिविधियों में सुस्ती, अंगों में अकड़न और चलने में कठिनाई होना है। लेकिन पार्किंसंस रोग से पीड़ित लोगों को अक्सर कई तरह के गैर-मूवमेंट से संबंधित लक्षण जैसे कि मूड खराब होना, नींद में गड़बड़ी, कब्ज, गंध की भावना का कम होना आदि का अनुभव भी होता है।

कैसे करें बचाव ?
अगर आप संगीत के शौकीन हैं और तेज चलना, जॉगिंग, तैराकी, योग, नृत्य, साइकिल चलाना, खेल आदि को अपने दैनिक जीवन का नियमित हिस्सा बना सकते हैं तो आप स्मृति और चाल संबंधी समस्याओं के रूप में पार्किंसंस रोग के खिलाफ जीत सकते हैं।

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