नई दिल्ली, 8 फरवरी: बढ़ती उम्र एवं हड्डी रोगों के कारण चलने- फिरने और उठने -बैठने में परेशान लोगों के लिए राम मनोहर लोहिया अस्पताल (आरएमएल) ने रोबोटिक पद्धति से सर्जरी की शुरुआत की है। यह पद्धति शरीर के जोड़ों के सटीक अलाइनमेंट करने के साथ मरीज के ब्लड लॉस में कमी और तेजी से स्वस्थ होने में मदद करती है।
इस रोबोटिक पद्धति के तहत शुक्रवार को आरएमएल अस्पताल में बैक टू बैक दो मरीजों के घुटनों का प्रतिस्थापन किया गया। इनमें एक महिला (52 वर्ष) और एक पुरुष (62 वर्ष) शामिल थे। 62 वर्षीय बुजुर्ग के दोनों घुटने घिस गए थे यानि कार्टिलेज की मात्रा कम हो गई थी। उन्हें अक्सर घुटने में तेज दर्द रहता था और चलने- फिरने में दिक्कत होती थी। जबकि महिला रूमेटाइड अर्थराइटिस के साथ ऑस्टियोपोरोसिस से भी पीड़ित थी। उन्हें भी दोनों घुटनों में उक्त दिक्कतें थीं। दोनों मरीजों की जांच के बाद अस्थि रोग विभाग ने उनकी टोटल नी रिप्लेसमेंट करने का फैसला किया। जिसे आरएमएल के चिकित्सा निदेशक और नी रिप्लेसमेंट विशेषज्ञ डॉ अजय शुक्ला ने ‘माको’ सर्जिकल रोबोट तकनीक से अपनी टीम के साथ अंजाम दिया।
इस टीम में शामिल अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ. ओमप्रकाश मीणा ने बताया कि महिला मरीज के दोनों घुटनों को सफलतापूर्वक बदला गया है जबकि पुरुष मरीज की अधिक उम्र के कारण उनका एक घुटना बदला गया है। जल्द ही उनके दूसरे घुटने की सर्जरी की जाएगी। डॉ मीणा ने बताया कि यह आरएमएल में पहली रोबोटिक सर्जरी थी जिसके चिकित्सा परिणाम बेहतर होते हैं। इसमें रोगी के शरीर में छोटे कट लगाए जाते हैं जिससे घाव गहरे नहीं होते। ब्लड लॉस कम होता है। उन्होंने बताया कि परंपरागत सर्जरी की तुलना में रोबोट की मदद से की जाने वाली सर्जरी में हड्डी व इंप्लांट का अलाइनमेंट ज्यादा बेहतर तरीके से होता है जिससे मरीज को अपना घुटना मोड़ने और चलने -फिरने में काफी आसानी होती है।