माल ढुलाई खर्च बढ़ने से उद्यमियों की चिंता बढ़ी
माल ढुलाई खर्च बढ़ने से उद्यमियों की चिंता बढ़ी

अमर सैनी
नोएडा। यूरोप के देशों में बढ़ते अविश्वास और युद्ध की स्थिति की वजह से गारमेंट एक्सपोर्ट के बाजार पर असर पड़ रहा है। रेड-सी क्षेत्र में माल वाहक जहाजों को निशाना बनाया जा रहा है। ऐसे में निर्यातकों को हवाई जहाज या समुंद्र के रास्ते लंबी दूरी तय कर कपड़े निर्यात करने पड़ रहे हैं। इससे उद्यमियों का माल ढ़ुलाई का खर्च बढ़ गया है। उत्पादन लागत भी बढ़ गई है। अब बढ़ी हुई दरों पर विदेशी खरीदार नए ऑर्डर देने के लिए तैयार नहीं हो रहे। इससे उद्यमियों की चिंता बढ़ गई है। गारमेंट एक्सपोर्ट की इकाइयों के संचालन में भी दिक्कतें आ रही है।
शहर में गारमेंट एक्सपोर्ट की छोटी-बड़ी मिलाकर करीब चार हजार इकाइयां है। इनमें पांच लाख से अधिक श्रमिक काम करते हैं। इनका सालाना करीब 30 हजार करोड़ रुपये का कारोबार हो रहा है। शहर के उद्यमियों का सबसे ज्यादा कारोबार यूरोप और अफ्रीका सहित गल्फ कंट्री के देशों में होता है। विश्व में रूस और युक्रेन के बीच युद्ध चल रहा है। वही, इजराइल ने गाजा पर हमला किया हुआ है। समुंद्र के रेड-सी मार्ग पर भी माल वाहक वाहनों को निशाना बनाया जा रहा है। ऐसे में गारमेंट उद्यमियों को समुंद्र के दूसरे लंबे मार्ग से निर्यात करना पड़ रहा है। इससे उद्यमियों का सप्ताह भर अधिक समय लग रहा है। इसके साथ ही ट्रांसपोर्ट का खर्च बढ़ रहा है। शहर के उद्यमी समय पर माल का निर्यात करने के लिए हवाई जहाज का सहारा ले रहे हैं। इससे उनका माल ढ़ुलाई का खर्च बढ़ रहा है। आईआईए के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राजीव बंसल ने बताया कि तमाम तरह की परेशानी आने के बाद भी और बगैर मुनाफा के भी शहर के उद्यमी समय पर विदेशी खरीदारों को निर्यात कर रहे हैं। अब शहर के उद्यमी बढ़ी हुई दरों पर नए ऑर्डर ले रहे हैं। परंतु विदेशी खरीदारों ने बढ़ी हुई दरों पर नए ऑर्डर देने से इंकार कर दिया है। ऐसे में उद्यमियों का संचालन करने में भी दिक्कतें आएंगी।
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गर्मियों में मिलते हैं सर्दियों के ऑर्डर
उद्यमी अभिषेक मिश्रा ने बताया कि शहर के उद्यमियों को गर्मियों में सर्दियों के कपड़े तैयार करने का ऑर्डर मिलते हैं। इसका सिंतबर से निर्यात शुरू कर दिया जाता है। वहीं सर्दियों में गर्मियों के लिए कपड़े के ऑर्डर दिए जाते हैं। परंतु विश्व में फैली अशांति की वजह से विदेशी खरीदार बड़ी संख्या में ऑर्डर देने से बच रहे हैं। इसके साथ ही बढ़ी हुई दरों पर उद्यमी ऑर्डर नहीं दे रहे हैं।
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दस प्रतिशत कीमत बढ़ाई है
उद्यमी अंकुर गोयल ने बताया कि गारमेंट के विभिन्न परिधारों की पांच से 10 प्रतिशत ही कीमत बढ़ाई है। जैसे किसी कपड़े की कीमत सौ रुपये थी, अब उसकी कीमत बढ़ाकर अधिकतम 110 रुपये कर दी है। इसी तरह विभिन्न तरह के परिधानों की कीमत बढ़ाई गई है।
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वर्जन
अभी उद्यमियों को निर्यात करने में तमाम तरह की परेशानियां आ रही हैं। ऐसे में उद्यमियों ने उत्पादन की कीमत बढ़ा दी है। इसके बाद भी नए दरों पर विदेश खरीदारी ऑर्डर देने के लिए तैयार नहीं हो रहे हैं।
-ललिल ठुकराल, अध्यक्ष, अपैरल पार्क कलस्टर