
नई दिल्ली, 3 जुलाई : महाराष्ट्र से जीका वायरस के कुछ मामलों की सूचना के मद्देनजर, स्वास्थ्य मंत्रालय के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक (डीजीएचएस) डॉ अतुल गोयल ने राज्यों को एक परामर्श जारी किया है। इसमें आवासीय क्षेत्रों, कार्यस्थलों, स्कूलों, निर्माण स्थलों, संस्थानों एवं स्वास्थ्य सुविधाओं में कीट विज्ञान निगरानी को मजबूत करने और वेक्टर नियंत्रण गतिविधियों को तेज करने के साथ देश में जीका वायरस की स्थिति पर निरंतर सतर्कता बनाए रखने के लिए कहा गया है।
दरअसल, जीका डेंगू और चिकनगुनिया की तरह एडीज मच्छर जनित वायरल बीमारी है। यह एक गैर-घातक बीमारी है। हालांकि, जीका प्रभावित गर्भवती महिलाओं से पैदा होने वाले शिशुओं में माइक्रोसेफली (सिर का आकार कम होना) से जुड़ा है, जो इसे एक बड़ी चिंता का विषय बनाता है। इसलिए डीजीएचएस ने राज्यों को सलाह दी है कि वे चिकित्सकों को कड़ी निगरानी के लिए सचेत करें। इस साल 2 जुलाई तक महाराष्ट्र के पुणे (6), कोल्हापुर (1) और संगमनेर (1) से जीका वायरस के आठ मामले दर्ज किए जा चुके हैं। यह विगत में तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, राजस्थान, केरल, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और कर्नाटक जैसे राज्यों में भी पाया जा चुका है।
परामर्श के मुताबिक जीका प्रभावित क्षेत्रों से आने वाले मामलों की देखभाल करने वाले लोगों को निर्देश दिया जाए कि वे गर्भवती महिलाओं की जीका वायरस संक्रमण के लिए जांच करें। अगर जीका जांच में गर्भवती महिला पॉजिटिव पाई जाती है तो उनके भ्रूण के विकास की निगरानी करें और केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार कार्य करें। राज्यों से कहा गया है कि वे किसी भी पहचाने गए मामले की तुरंत एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (आईडीएसपी) और राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीवीबीडीसी) को रिपोर्ट करें।
इसके साथ ही राज्यों से समुदायों के बीच घबराहट को कम करने के लिए सोशल मीडिया और अन्य प्लेटफार्मों पर जागरूकता बढ़ाने का भी आग्रह किया गया है, क्योंकि जीका किसी भी अन्य वायरल संक्रमण की तरह है जिसके अधिकांश मामले लक्षणहीन और हल्के होते हैं। हालांकि, भारत में 2016 में गुजरात राज्य से जीका का पहला मामला सामने आया था। इसे माइक्रोसेफली से जुड़ा हुआ बताया जाता है, लेकिन 2016 के बाद से देश में जीका से जुड़े माइक्रोसेफली की कोई रिपोर्ट नहीं आई है।
जीका परीक्षण सुविधा राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआईवी), पुणे; राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी), दिल्ली और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की कुछ चुनिंदा वायरस अनुसंधान और नैदानिक प्रयोगशालाओं में उपलब्ध है। जहां उच्च स्तर पर समीक्षा की जा रही है। राज्यों को यह भी निर्देश दिया गया है कि वे स्वास्थ्य सुविधा केंद्रों व अस्पतालों को एक नोडल अधिकारी नियुक्त करने की सलाह दें जो परिसर को एडीज मच्छर मुक्त रखने के लिए निगरानी और कार्य करें।