Flipkart Theft: ई-कॉमर्स चोरी गैंग का पर्दाफाश, फ्लिपकार्ट का 20 लाख का माल बरामद, तीन गिरफ्तार

Flipkart Theft: ई-कॉमर्स चोरी गैंग का पर्दाफाश, फ्लिपकार्ट का 20 लाख का माल बरामद, तीन गिरफ्तार
नोएडा पुलिस ने ई-कॉमर्स चोरी के एक बड़े गिरोह का भंडाफोड़ करते हुए तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है। यह गिरोह फ्लिपकार्ट की गाड़ियों से माल चोरी कर अलग-अलग इलाकों में बेचता था। पुलिस ने इनके कब्जे से करीब 20 लाख रुपये का माल बरामद किया है। गिरफ्तार आरोपियों की पहचान संजय खान, जितेंद्र सिंह और लोकेश के रूप में हुई है। तीनों को सेक्टर-14 के नाले के पास से पकड़ा गया। ये आरोपी चोरी के माल को बेचकर मोटा मुनाफा कमाते थे।
चोरी की वारदात और खुलासा
डीसीपी यमुना प्रसाद के अनुसार, पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि उन्होंने 9 अक्टूबर को चिराग ट्रांसपोर्ट की गाड़ी से फ्लिपकार्ट का माल कालिंदी कुंज के पास से चोरी किया था। चोरी किए गए माल में जूते-चप्पल, शैम्पू, परफ्यूम, रजाई, टूथपेस्ट समेत कई महंगे आइटम शामिल थे। चोरी के बाद आरोपी इन सामानों को छोटे-छोटे इलाकों में बेचते थे ताकि पुलिस को शक न हो। इससे पहले, 2 नवंबर को इनके तीन साथी — अनूप, राहुल और यश — को गिरफ्तार किया जा चुका है।
गिरोह का नेटवर्क और कार्यप्रणाली
डीसीपी ने बताया कि यह गिरोह कुल 12 सदस्यों का है, जिसमें से अब तक छह गिरफ्तार हो चुके हैं। इनके पास से एक पुराना लैपटॉप और दो प्रिंटर भी बरामद हुए हैं। आरोपी वॉट्सऐप कॉल के जरिए संपर्क करते थे ताकि लोकेशन ट्रेस न हो सके। खुद को सुरक्षित रखने के लिए ये अपने पास चाकू भी रखते थे। गिरोह का सरगना संजय खान है, जो चोरी का माल दूसरी गाड़ियों में ट्रांसफर करवा कर एरिया-वाइज बेचने का प्लान बनाता था।
यूपी और दिल्ली में फैला नेटवर्क
यह गिरोह केवल नोएडा तक सीमित नहीं था। ये गाजियाबाद, इटावा, मैनपुरी, बुलंदशहर और दिल्ली के अलावा अन्य शहरों में भी ई-कॉमर्स कंपनियों की गाड़ियों को निशाना बनाते थे। पुलिस के अनुसार, चोरी के बाद माल को बेचने की जिम्मेदारी एक व्यक्ति को नहीं दी जाती थी, बल्कि अलग-अलग सदस्यों को अलग-अलग जिम्मेदारी दी जाती थी ताकि पकड़े जाने का खतरा कम हो।
पुलिस का कहना है कि अब गैंग के बाकी सदस्यों की तलाश की जा रही है। नोएडा पुलिस की इस कार्रवाई को बड़ी सफलता माना जा रहा है क्योंकि यह गिरोह लंबे समय से विभिन्न जिलों में सक्रिय था और ई-कॉमर्स कंपनियों को करोड़ों रुपये का नुकसान पहुंचा चुका था।




