
हाल ही में फिल्म ‘छावा’ का ट्रेलर लॉन्च इवेंट मुंबई में हुआ। फिल्म में विक्की कौशल छावा यानी छत्रपति संभाजी महाराज की भूमिका निभा रहे हैं। कौन थे छत्रपति संभाजी? दुश्मन होते हुए भी मुगल शासक औरंगजेब क्यों था उनका कायल? जानिए, छावा यानी छत्रपति संभाजी महाराज की असल कहानी?
Chhatrapati Sambhaji Maharaj, जो छत्रपति शिवाजी महाराज के बड़े बेटे थे, अपनी वीरता और शौर्य के लिए प्रसिद्ध हैं। जानिए कैसे संभाजी महाराज ने मुगलों और अंग्रेजों से युद्ध किया और छत्रपति शिवाजी की विरासत को आगे बढ़ाया।
Chhatrapati Sambhaji Maharaj: वीरता के प्रतीक और युद्ध के महान योद्धा
मराठा साम्राज्य के गौरवमयी इतिहास में छत्रपति संभाजी महाराज का नाम हमेशा आदर और सम्मान से लिया जाता है। वे छत्रपति शिवाजी महाराज के बड़े बेटे थे और मराठा साम्राज्य की बाग-डोर संभालते हुए उन्होंने मुगलों से लेकर अंग्रेजों और पुर्तगालियों तक से संघर्ष किया। वीरता, शौर्य और युद्ध कौशल के प्रतीक संभाजी महाराज का जीवन हमेशा प्रेरणा का स्रोत रहेगा।
Chhatrapati Sambhaji Maharaj का जीवन
- वीरता की गाथाएं
छत्रपति शिवाजी महाराज के बेटे संभाजी महाराज बचपन से ही वीरता और साहस में माहिर थे। उन्होंने अपनी मां को बचपन में ही खो दिया था, और उनकी परवरिश उनकी दादी जीजाबाई ने की थी। जीजाबाई की शिक्षा और छत्रपति शिवाजी के आदर्शों ने उन्हें एक महान योद्धा बनाया। - 120 युद्धों का नेतृत्व (
संभाजी महाराज ने अपनी पूरी जिंदगी में लगभग 120 युद्ध लड़े और उनमें से अधिकतर को जीता। मुगलों के साथ उनके संघर्ष के अलावा, उन्होंने अंग्रेजों और पुर्तगालियों से भी युद्ध किया। औरंगजेब, जो 70 साल की उम्र में भी संभाजी महाराज को हराने का सपना देखता रहा, कभी भी अपनी इच्छानुसार जीत नहीं पा सका। - संघर्ष और समर्पण
संभाजी महाराज ने अपने जीवन में कई कठिनाइयों का सामना किया, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। वे मराठा साम्राज्य के लिए समर्पित थे और हर स्थिति में अपने लोगों की रक्षा करने के लिए तैयार रहते थे। उनका युद्ध कौशल और नेतृत्व काबिल-ए-तारीफ था।
Chhatrapati Sambhaji Maharaj की हार: अंदरूनी साजिश
संभाजी महाराज का सबसे बड़ा दुश्मन औरंगजेब था, लेकिन उनकी हार का कारण मुगलों का नहीं, बल्कि उनके अपने लोग बने। कुछ करीबी लोग उनके खिलाफ साजिश रच रहे थे, जिसके कारण संभाजी को धोखा मिला और मुगलों के हाथों पकड़े गए। औरंगजेब ने उन्हें कैद कर लिया, लेकिन संभाजी ने कभी माफी नहीं मांगी।
Chhatrapati Sambhaji Maharaj का बलिदान
संभाजी महाराज के साथ मुगलों ने अत्याचार किया। उनकी आंखें निकाल ली गईं और शरीर के टुकड़े कर दिए गए। लेकिन उनका साहस और वीरता कभी कमजोर नहीं हुई। उनका बलिदान मराठा साम्राज्य की आत्मा बन गया। औरंगजेब ने भी उनके साहस को मान्यता दी और कहा कि वह भी ऐसा बेटा चाहते थे। संभाजी महाराज की मौत ने मुगलों को भी यह समझा दिया कि सच्ची वीरता कभी भी किसी भी रूप में समाप्त नहीं होती।
Chhatrapati Sambhaji Maharaj का जीवन अमर रहेगा
संभाजी महाराज ने जीवन भर अपने साम्राज्य और लोगों की रक्षा की और महान युद्धों में भाग लिया। उनकी वीरता और बलिदान मराठा साम्राज्य की नींव को मजबूत करने में मददगार साबित हुए। आज भी उनका नाम इतिहास के पन्नों में अमर है और उनका साहस हर भारतीय के दिल में प्रेरणा का स्रोत बना हुआ है।
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