Kangra (KGRA) Railway Station: काँगड़ा रेलवे स्टेशन, इतिहास से वर्तमान तक की यात्रा

Kangra (KGRA) Railway Station: काँगड़ा रेलवे स्टेशन, इतिहास से वर्तमान तक की यात्रा
रिपोर्ट: रवि डालमिया
उत्तर रेलवे के एक प्रतिनिधिमंडल ने हाल ही में हिमाचल प्रदेश के काँगड़ा जिले में स्थित ऐतिहासिक काँगड़ा रेलवे स्टेशन का दौरा किया, जिसने अपने लगभग एक सदी पुराने सफर में कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। यह स्टेशन ना केवल क्षेत्र के परिवहन तंत्र का अहम हिस्सा रहा है, बल्कि भारतीय इतिहास में भी इसकी एक विशिष्ट पहचान रही है। 1 अप्रैल 1929 को जब यह स्टेशन औपचारिक रूप से यात्री सेवा के लिए खोला गया, तब से यह पठानकोट-जोगिंदर नगर नैरो गेज लाइन का प्रमुख केंद्र बना रहा। समुद्र तल से 1290 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह स्टेशन न केवल हिमाचल की भौगोलिक चुनौतियों को पार कर यात्रियों को सेवा प्रदान करता है, बल्कि अपने ऐतिहासिक महत्व से भी लोगों को आकर्षित करता है।
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इस स्टेशन की सेवाएं अस्थायी रूप से बंद कर दी गई थीं और इसके ढांचे में उपयोग हुए लोहे को युद्ध सामग्री निर्माण के लिए प्रयोग में लाया गया था। यह तथ्य इसे केवल एक परिवहन केंद्र नहीं, बल्कि उस दौर के राष्ट्रीय प्रयासों का मौन गवाह भी बनाता है। युद्ध के बाद पुनः इसे शुरू किया गया, लेकिन वर्षों तक यह अनियमित सेवाओं का शिकार रहा। स्थानीय नागरिकों और प्रशासन के सतत प्रयासों से यह स्टेशन दोबारा सक्रिय किया गया और अब यहाँ प्रतिदिन 6 से 7 ट्रेनों का संचालन होता है।
आज काँगड़ा रेलवे स्टेशन न केवल कांगड़ा घाटी की सुंदरता और पर्यटन स्थलों तक पहुँचने का प्रमुख माध्यम है, बल्कि यह हिमाचल प्रदेश की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहचान का भी प्रतीक है। यह स्टेशन आज भी उसी गरिमा और सेवाभाव के साथ यात्रियों की आवश्यकताओं को पूरा कर रहा है, जिस उद्देश्य से इसे लगभग एक सदी पहले बनाया गया था।
स्टेशन मास्टर के अनुसार, वर्तमान में स्टेशन को नियमित रूप से स्वच्छ और कार्यक्षम बनाए रखने के लिए आवश्यक रखरखाव किया जा रहा है। यात्रियों के लिए बुनियादी सुविधाएं जैसे पेयजल, प्रतीक्षालय और साफ-सफाई की व्यवस्था उपलब्ध है, जिससे यात्रियों को एक बेहतर अनुभव मिलता है।
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि यह रेलवे स्टेशन उनके जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुका है। एक ओर जहां बसों में एक तरफ का किराया ₹150 से ₹200 तक लगता है, वहीं यही दूरी ट्रेन से मात्र ₹10 में तय की जा सकती है। ग्रामीण और निम्न आयवर्ग के लोगों के लिए यह लाइन एक आर्थिक सहारा है। स्थानीय लोगों ने यह भी बताया कि अंग्रेजों के समय से मौजूद यह स्टेशन क्षेत्र की सामाजिक और आर्थिक जीवन रेखा है। काँगड़ा रेलवे स्टेशन अपने ऐतिहासिक गौरव, वर्तमान सेवा और भविष्य की संभावनाओं के साथ एक जीवंत विरासत बन चुका है, जो हिमाचल की घाटियों में रेल की गूंज के साथ इतिहास और आधुनिकता का संगम दर्शाता है।
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