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नई दिल्ली:एयरोस्पेस मेडिसिन में और अधिक संभावनाएं तलाशने की जरूरत :रक्षा मंत्री

नई दिल्ली: -रक्षा मंत्री ने एयरोस्पेस चुनौतियों से निपटने के लिए अनुसंधान एवं विकास बढ़ाने का किया आह्वान

नई दिल्ली, 9 मार्च: जैसे-जैसे हम अंतरिक्ष में नई ऊंचाइयों को छू रहे हैं, हमें एयरोस्पेस मेडिसिन में और अधिक संभावनाएं तलाशने की जरूरत है। चूंकि हवाई और अंतरिक्ष यातायात में निरंतर वृद्धि के मद्देनजर देश में एयरोस्पेस चिकित्सा के क्षेत्र में विशेषज्ञों की जरुरत बढ़ रही है।

यह बातें रक्षा मंत्री ने राजनाथ सिंह ने रविवार को कर्नाटक के बेंगलुरू में वायुसेना के एयरोस्पेस मेडिसिन संस्थान (आईएएम) का दौरा करने के दौरान कहीं। उन्होंने कहा, रक्षा के दृष्टिकोण से अंतरिक्ष युद्ध भी एक प्रमुख क्षेत्र के रूप में उभरा है। हमने इस दिशा में एंटी-सैटेलाइट जैसी सबसे उन्नत तकनीकों में महारत हासिल करने में कामयाबी भी हासिल की है। लेकिन एयरोस्पेस मेडिसिन के क्षेत्र में अनुसंधान और विकास में वृद्धि की आवश्यकता है क्योंकि किसी भी उच्च-स्तरीय जटिल तकनीक में अनुसंधान कई क्षेत्रों को लाभ प्रदान करता है।

रक्षा मंत्री ने कहा, सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण, विकिरण और अंतरिक्ष में मनुष्य द्वारा सामना की जाने वाली अलगाव जैसी चुनौतियों के साथ शारीरिक और मानसिक परिवर्तनों से निपटने के लिए एयरोस्पेस मेडिसिन बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, चाहे वह न्यूरॉन्स से संबंधित मुद्दा हो, हड्डियों का नुकसान हो या मानसिक समस्याएं हों, इन चुनौतियों से निपटना एयरोस्पेस और अंतरिक्ष चिकित्सा की जिम्मेदारी है। इस क्षेत्र को भविष्य में बड़ी जिम्मेदारियों के लिए खुद को तैयार करना चाहिए।

उन्होंने आईएएम में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद की बाह्य अनुसंधान परियोजना: उन्नत अनुसंधान केंद्र का भी शुभारंभ किया। यहां ‘अंतरिक्ष मनोविज्ञान: भारतीय अंतरिक्ष मिशनों के लिए अंतरिक्ष यात्रियों और अंतरिक्ष यात्रियों के चयन और व्यवहारिक स्वास्थ्य प्रशिक्षण’ संबंधी परियोजना पर काम किया जा रहा है। संस्थान में रक्षामंत्री को पायलट प्रशिक्षण, चिकित्सा मूल्यांकन और एयरोमेडिकल अनुसंधान में आईएएम की अनूठी भूमिका के बारे में जानकारी दी गई।

रक्षा मंत्री ने लड़ाकू पायलटों के उच्च प्रशिक्षण के लिए उपयोग किए जाने वाले डायनेमिक फ्लाइट सिम्युलेटर और हाई परफॉरमेंस ह्यूमन सेंट्रीफ्यूज का निरीक्षण किया। साथ ही उड़ान में स्थानिक भटकाव के जोखिम को रोकने के लिए सशस्त्र बलों के पायलटों को प्रशिक्षित करने के लिए स्थापित स्थानिक भटकाव सिम्युलेटर का निरीक्षण किया। रक्षा मंत्री के साथ वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह, एयर ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ एयर मार्शल नागेश कपूर और महानिदेशक चिकित्सा सेवाएं (वायु) एयर मार्शल संदीप थरेजा आदि मौजूद रहे।

ममूटी ने कहा कि उन्हें ‘मेगास्टार’ की उपाधि पसंद नहीं है, उन्हें लगता है कि उनके जाने के बाद लोग उन्हें याद नहीं रखेंगे

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