![नई दिल्ली: -ज्यादा मोटे लोगों की अपेक्षा छोटी तोंद वालों को हृदय रोग का खतरा ज्यादा](https://topstory.online/wp-content/uploads/2025/02/WhatsApp-Image-2025-02-06-at-9.16.28-PM.jpeg)
नई दिल्ली, 6 फरवरी : अगर आपके हाथ, पैर, चेहरे और जांघ पर अतिरिक्त चर्बी नहीं है। मगर, पेट पर जमी है और आपकी तोंद भी बाहर निकली हुई है तो आपको स्वास्थ्य की दृष्टि से सावधान रहने की जरुरत है।
यह दावा एम्स दिल्ली के मेडिसिन विभाग ने एक शोध के आधार पर किया है। इस संबंध में एम्स के डॉ नवल विक्रम ने कहा, ऐसा नहीं है कि सिर्फ 35 इंच -40 इंच से ज्यादा कमर साइज वाले महिला -पुरुष ही मोटापे से संबंधित रोगों का शिकार बनते हैं। वे लोग भी मोटापे के कारण होने वाले रोगों के शिकार बन सकते हैं जिनके हाथ -पैर के साइज तो उनके शरीर के अनुपात में सामान्य हैं। मगर तोंद बाहर निकली हुई है। वे लोग भले ही अपनी कमर के घेरे के हिसाब से स्वयं को फिट मान रहे हों, लेकिन सेहत के हिसाब से वे अनफिट ही हैं।
छोटी तोंद वालों को एनसीडी का खतरा
डॉ नवल ने कहा, इन लोगों को सामान्य मोटे लोगों की तुलना में हृदय रोग होने का खतरा ज्यादा होता है। ऐसे में उन्हें हृदय रोग के साथ कैंसर, मधुमेह, स्ट्रोक, गुर्दे की पुरानी बीमारी, श्वसन रोग, ऑस्टियोपोरोसिस, अल्जाइमर और मोतियाबिंद जैसे गैर संचारी रोगों (एनसीडी) का सामना करना पड़ सकता है। लिहाजा, उन्हें अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत होती है। एनसीडी से बचने के लिए उन्हें वजन प्रबंधन के साथ संतुलित आहार, व्यायाम और शारीरिक गतिविधियों पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
हार्ट डिजीज और जॉइंट्स पैन का सबब है मोटापा
एम्स के सर्जरी विभाग के डॉ. असुरी कृष्णा ने कहा, मोटापे से निजात पाने के लिए व्यक्ति का मोटिवेट होना बहुत जरुरी है। इसके बिना वजन कम नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा, अक्सर मोटे लोग अपने खान -पान और सोने -जागने की आदतों में बदलाव लाए बिना वजन कम करना चाहते हैं और मोटापा घटाने के लिए बैरिएट्रिक सर्जरी का सहारा लेते हैं। लेकिन आदतों में बदलाव न लाने के चलते बैरिएट्रिक सर्जरी के बावजूद फिर से मोटे हो जाते हैं। ऐसे में उन्हें कार्डियोवैस्कुलर रोगों (हृदय रोग) के साथ जॉइंट्स पैन की प्रॉब्लम भी हो सकती है।
तनाव से भी बढ़ता है मोटापा
मनोचिकित्सा विभाग के डॉ. नंद कुमार ने मोटापे के लिए तनाव को भी जिम्मेदार बताया। उन्होंने कहा, वजन बढ़ने के लिए ऑक्सीडेटिव तनाव और हार्मोनल असंतुलन जिम्मेदार होते हैं। डॉ कुमार ने कहा, तनाव से प्रेरित मोटापे से निपटने की रणनीति के रूप में सी-ए-एल-एम (कॉम) दृष्टिकोण- सचेत गतिविधि, सक्रिय शिक्षा, जीवनशैली में बदलाव और माइंडफुलनेस का उपयोग बेहद कारगर साबित हो सकता है।