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 उत्तर प्रदेश, नोएडा: कंपनियों में चुराने वाले गिरोह का पर्दाफाश

 उत्तर प्रदेश, नोएडा: कंपनियों में चुराने वाले गिरोह का पर्दाफाश

अमर सैनी
 उत्तर प्रदेश, नोएडा।फेज-2 थाने की पुलिस ने कंपनियों और फैक्टरियों के अंदर और बाहर से तार और सामान चोरी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश कर सरगना समेत तीन आरोपियों को रविवार को गिरफ्तार कर लिया। वे रेकी करने के बाद वारदात को अंजाम देते थे। एसीपी वर्णिका सिंह ने बताया कि बीते दिनों एक व्यक्ति ने फेज-2 थाने में शिकायत दी थी कि उसकी कंपनी के बाहर लाखों रुपये के तार रखे थे। रात में मौका पाकर चोरों ने तार चुरा लिया। इसे ले जाने में हाइड्रा या ट्रक का इस्तेमाल किया गया। पुलिस को इसी प्रकार की कई अन्य शिकायतें भी मिलीं।

इसके बाद एसीपी के निर्देश पर ही थाना प्रभारी की अगुवाई में कंपनियों के अंदर और बाहर से तार समेत अन्य सामान चोरी करने वाले गिरोह का पर्दाफाश करने के लिए एक टीम गठित की गई। टीम गिरोह के सदस्यों की तलाश में संभावित ठिकानों पर दबिश दे रही थी। मुखबिर ने रविवार सुबह पुलिस टीम को सूचना दी कि सेक्टर-83 मेट्रो स्टेशन के पास कुछ लोग एकत्र हुए हैं जो क्षेत्र में कहीं पर चोरी करने की साजिश रच रहे हैं। इसके बाद टीम मौके पर पहुंची और करीब पांच मिनट तक मुखबिर द्वारा बताए गए ठिकाने पर दिख रहे तीन लोगों की गतिविधियों पर नजर रखी। संदिग्ध लगने पर टीम ने तीनों को दबोच लिया और पूछताछ करनी शुरू कर दी। पहले तो आरोपियों ने कुछ नहीं कबूला, लेकिन जब कड़ाई से पूछताछ हुई तो तीनों ने बता दिया वे कंपनियों से तार समेत अन्य सामान चुराते हैं। इसके बाद तीनों को गिरफ्तार कर लिया गया। आरोपियों की पहचान दिल्ली के सवापुर निवासी गुफरान और राकेश, होजरी कॉम्प्लेक्स निवासी दिनेश के रूप में हुई। दिनेश गिरोह का सरगना और चालक है। गुफरान कबाड़ी है। गुफरान मूलरूप से सिद्धार्थनगर के डोमरियागंज का निवासी है। वहीं, राकेश प्रतापगढ़ के झारा और दिनेश मैनपुरी के भौगांव का रहने वाला है। राकेश गिरोह का सबसे उम्रदराज सदस्य है। उसकी उम्र 40 साल है। गुफरान 28, जबकि दिनेश 38 साल का है। कबाड़ी गुफरान ने 12वीं, राकेश ने नौंवी और दिनेश ने दसवीं तक की पढ़ाई की है। आरोपियों के पास से वारदात में इस्तेमाल होने वाला हाइड्रा और चोरी का माल बेचकर अर्जित की गई दो लाख 90 हजार रुपये की नगदी बरामद हुई। बिना सुरक्षाकर्मी वाली फैक्टरी निशाने पर थीं पूछताछ के दौरान आरोपियों ने बताया कि वे ऐसी कंपनियों और फैक्टरियों को निशाना बनाते थे, जहां पर कम सुरक्षाकर्मी होते थे या होते ही नहीं थे। राकेश का काम रेकी करने का है। वह अलग-अलग थाना क्षेत्र स्थित कंपनियों और फैक्टरियों के पास घूमता है और यह जानकारी जुटाता है कि कहां पर सुरक्षाकर्मी रात में नहीं रहते। इसके बाद वह गिरोह के सरगना दिनेश को इसकी जानकारी देता है। दिनेश हाइड्रा लेकर मौके पर पहुंचता है और कंपनी के अंदर और बाहर जो भी भारी सामान मिलता है, उसे चोरी कर लेता। कबाड़ी गुफरान भी घटनास्थल पर ही मौजूद रहता है। वह चारों ओर नजर रखता है ताकि अगर कोई उधर आए तो वह अपने साथियों को मोबाइल से सूचना देकर सचेत कर दे। दिल्ली में बेचा चोरी का सामान: गुफरान की मदद से गिरोह का सरगना चोरी के सामान को दिल्ली के विभिन्न बाजारों में बेहद कम दाम में बेच देता। इसके अलावा कई बार आरोपी मजबूरी बताकर सस्ते दामों में चोरी के सामान को लोगों को बेच देते। चोरी के सामान को बेचकर जो रुपये मिलते, उसे तीनों आरोपी आपस में बांट लेते। बीते कई सालों से गिरोह के सदस्य चोरी की वारदात कर रहे थे। गिरोह में दो अन्य लोगों के भी शामिल होने की जानकारी मिली है। पुलिस शेष आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए भी संभावित ठिकानों पर दबिश दे रही है। आरोपी चोरी के दौरान विरोध करने पर लोगों को डराने के लिए अपने पास तमंचा और चाकू भी रखते। हालांकि जिस समय दोनों की गिरफ्तारी हुई, उनके पास चाकू और तमंचा नहीं मिला। आरोपियों के पास से जो रकम बरामद हुई, उसे उन्होंने चोरी का सामान बेचकर अर्जित की थी। चोरी का सामान किसे और कब बेचना है, इसका निर्णय कबाड़ी गुफरान करता।

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