दिल्ली में आंगनवाड़ी, आशा और मध्याह्न भोजन कर्मियों सहित 43000 मानदेय कार्यकर्ताओं को मिलेगा ईपीएफ का लाभ !
बिहार के रहने वाले वकील और सूचना का अधिकार (आरटीआई) कार्यकर्ता रजनीश रत्नाकर द्वारा दायर याचिका पर संज्ञान लेते हुए, ईपीएफओ पूर्वी दिल्ली के क्षेत्रीय भविष्य निधि आयुक्त, बृज मोहन सिंह ने दिल्ली के कई विभागों से कर्मचारियों के भविष्य निधि अधिनियम 1952 का लाभ सुनिश्चित करने के लिए कहा है।

अभिषेक ब्याहुत
नई दिल्ली
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार से जुड़े आंगनवाड़ी, आशा और मध्याह्न भोजन कार्यकर्ताओं सहित लगभग 43 हजार मानद कर्मचारियों को कर्मचारी भविष्य निधि अधिनियम 1952 का लाभ मिलने का रास्ता लगभग साफ हो गया हैं।
बिहार के एक वकील-सह-सूचना का अधिकार (आरटीआई) कार्यकर्ता द्वारा दायर एक याचिका पर संज्ञान लेते हुए, क्षेत्रीय भविष्य निधि आयुक्त, ईपीएफओ पूर्वी दिल्ली, बृज मोहन सिंह ने 1 अप्रैल 2024 को एक पत्र जारी कर मिशन निदेशक (राज्य स्वास्थ्य समिति), स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग, महिला और बाल विकास विभाग और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली का शिक्षा विभाग से उपरोक्त लाभार्थियों को भारत सरकार कर्मचारी भविष्य निधि अधिनियम 1952 के लाभों को सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है।
गौरतलब हैं कि राष्ट्रीय राजधानी में लगभग 17000 आशा कार्यकर्ता, 20000 आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और सहायिकाएं और 6000 मध्याह्न भोजन कार्यकर्ता सह रसोइया विभिन्न योजनाओं के तहत काम कर रहे हैं।
यह कार्रवाई बिहार के रहने वाले आरटीआई कार्यकर्ता और वकील रजनीश रत्नाकर द्वारा दायर आवेदन पर की गई है, जो देश के लगभग 60 लाख मानद कर्मियों को सभी सामाजिक सुरक्षा कानूनों का लाभ दिलाने के लिए पिछले एक साल से संघर्ष कर रहे हैं।
रजनीश रत्नाकर भारत के सभी राज्य सरकारों में कार्यरत लगभग 50 लाख सरकारी कर्मचारियों को ईएसआई अधिनियम 1948 का लाभ दिलाने के लिए भी संघर्ष कर रहे हैं।
टॉप स्टोरी से बातचीत में एक्टिविस्ट रजनीश रत्नाकर ने कहा कि सीजीएचएस केंद्र सरकार के कर्मचारियों और निजी प्रतिष्ठानों में काम करने वाले कर्मचारियों को स्वास्थ्य बीमा योजना का लाभ प्रदान कर रहा है. ईएसआई अस्पताल यह सुविधा निःशुल्क प्रदान करता है।

उन्होंने कहा कि, ”केंद्र सरकार के अच्छे प्रयासों से अब असंगठित क्षेत्रों में काम करने वाले श्रमिकों को भी आयुष्मान भारत योजना के तहत 5 लाख रुपये तक के स्वास्थ्य बीमा का लाभ मिलना शुरू हो गया है, लेकिन ज्यादातर राज्य सरकारें अभी भी अपने ही राज्य कर्मचारियों को इस कानून का लाभ नही दें रहें है।
रजनीश रत्नाकर ने कहा कि अधिकांश राज्य सरकारें अब अपने प्रतिष्ठानों में संविदा के आधार पर कर्मचारियों की नियुक्ति कर रही हैं और उन्हें कर्मचारी भविष्य निधि अधिनियम 1952 का लाभ नहीं दे रही हैं और अगर दे भी रही हैं तो इन कर्मचारियों को यह लाभ नहीं मिल रहा है। उनकी वास्तविक ज्वाइनिंग की तारीख से उन्हें पेमेंट ऑफ ग्रेच्युटी एक्ट 1972 का भी लाभ नही मिल रहा है.
आरटीआई कार्यकर्ता रजनीश रत्नाकर के प्रयास से ओडिशा, बिहार, झारखंड, केरल और पंजाब में भविष्य निधि आयुक्तों द्वारा कर्मचारी भविष्य निधि में पंजीकृत मानदेय कर्मियों को इसी तरह का निर्देश जारी किया गया है।
रजनीश रत्नाकर ने कहा, “मैं पिछले एक साल से दो मुद्दों पर संघर्ष कर रहा हूं, जिसका उद्देश्य ईएसआई अस्पतालों के लाभ से इन गरीब और वंचित कर्मचारियों का भविष्य समृद्ध हो सके।”
रजनीश रत्नाकर दिल्ली विश्वविद्यालय से कानून स्नातक हैं और पहले दिल्ली के तीसजारी कोर्ट में वकील के रूप में अभ्यास कर चुके हैं।