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‘दिल्ली चलो मार्च’ पर बड़ा ऐलान; किसान नेता डल्लेवाल ने कहा- 6 मार्च को पूरे देश से किसान दिल्ली जाएंगे, 10 मार्च को देशभर में ट्रेनें रोकेंगे

Delhi Chalo March Update: पंजाब के किसान अपनी मांगों को लेकर अंबाला के शंभू और जींद के खनौरी बार्डर पर 13 फरवरी से डेरा डाले हुए हैं। दिल्ली जाने पर अड़े किसानों को आगे नहीं जाने दिया जा रहा है। हरियाणा पुलिस और पैरामिलिट्री फोर्स के जवानों ने दोनों बार्डर सील कर रखे हैं। वहीं इस बीच अब किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने बड़ा ऐलान किया है।

डल्लेवाल ने कहा कि, हमारा दिल्ली चलो मार्च टला नहीं है। वो जस का तस है। हम पीछे नहीं हटने वाले। सरकार को घुटनों पर लाने के लिए मार्च के महीने में  किसानों का विरोध प्रदर्शन और तेज होगा। शंभू और खनौरी बार्डर पर हम किसान अपनी ताकत बढ़ाएँगे। बार्डर पर किसानों की संख्या बढ़ाई जाएगी।

6 मार्च को ट्रेन, बस, हवाई मार्ग से दिल्ली पहुंचे किसान

किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा कि, सरकार कहती है कि हम किसान ट्रैक्टर लेकर दिल्ली में घुस रहे हैं और अशांति पैदा कर रहे हैं। इसलिए हमने यह रणनीति बनाई है कि 6 मार्च को किसान पूरे देश से ट्रेन, बस, हवाई मार्ग से शांतिपूर्वक दिल्ली आएंगे और तब हम यह देखेंगे कि सरकार उन्हें वहां बैठने की इजाजत देगी या नहीं।

10 मार्च को पूरे देश में ट्रेनें रोकेंगे किसान

जगजीत सिंह डल्लेवाल ने 10 मार्च को पूरे देश में ट्रेनें रोकने का भी ऐलान किया है। डल्लेवाल ने पूरे देश के किसानों से कहा है कि वह 10 मार्च को दोपहर 12 बजे से देशभर में ‘रेल रोको’ विरोध प्रदर्शन करें और ट्रेनों का चक्का जाम करें। डल्लेवाल ने कहा कि दोपहर 12 बजे से शाम 4 बजे ट्रेनों का चक्का जाम किया जाएगा।

पुलिस से हो चुका किसानों का टकराव

बीते दिनों अंबाला के शंभू और जींद के खनौरी बार्डर पर किसानों और हरियाणा पुलिस व पैरामिलिट्री फोर्स के जवानों में टकराव भी हो चुका है। पुलिस की तरफ से लगातार किसानों की तरफ आंसू गैस के गोले छोड़े गए। प्रदर्शन में अब तक चार किसानों की मौत भी हुई है। वहीं किसानों के प्रदर्शन में ड्यूटी दे रहे तीन पुलिस वालों की भी जान गई है।

किसानों की क्या मांगें हैं?

फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानूनी गारंटी, स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने, किसानों व कृषि मजदूरों के लिए पेंशन, कृषि ऋण माफ करने, पुलिस में दर्ज मामलों को वापस लेने सहित किसानों की कई मांगें हैं. बता दें कि 2020-21 में दिल्ली में बड़ा किसान आंदोलन हुआ था। इसके बाद केंद्र सरकार ने 3 कृषि कानूनों को वापस ले लिया था।

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