उत्तर प्रदेश, नोएडा: 3डी प्रिंटिंग तकनीक से कूल्हे की हड्डी से जोड़ा जबड़ा
उत्तर प्रदेश, नोएडा: 3डी प्रिंटिंग तकनीक से कूल्हे की हड्डी से जोड़ा जबड़ा
अमर सैनी
उत्तर प्रदेश, नोएडा। राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान (जिम्स) में पहली बार डॉक्टरों ने 3डी प्रिंटिंग तकनीक से कूल्हे की हड्डी से जबड़े को जोड़कर एक मरीज का सफल ऑपरेशन किया है। डॉक्टरों ने कई हिस्सों में टूटे जबड़े को कूल्हे की पांच सेंटीमीटर की हड्डी से जोड़ा है। बुलंदशहर निवासी राहुल नागर का सड़क दुर्घटना में जबड़ा टूट गया था। दिल्ली के एक अस्पताल में उनका ऑपरेशन हुआ, लेकिन ऑपरेशन सफल नहीं हुआ। जबड़े में डाली गई प्लेट कुछ दिनों बाद ही निकलने लगी, जिससे मरीज को काफी परेशानी हो रही थी। वह अपनी समस्या लेकर जिम्स अस्पताल के दंत विभाग में पहुंचे, जहां उनका सफल ऑपरेशन किया गया।
जिम्स में दंत विभागाध्यक्ष और मैक्सिलोफेशियल सर्जन डॉ. संदीप पांडे ने बताया कि 35 वर्षीय राहुल नागर निचले जबड़े में दर्द की शिकायत लेकर दंत विभाग में आए थे। 4 महीने पहले सड़क दुर्घटना में उनका जबड़ा कई हिस्सों में टूट गया था। जिससे उनके निचले जबड़े में कई फ्रैक्चर हो गए थे। राहुल का शुरू में नई दिल्ली के एक बड़े अस्पताल में इलाज हुआ, लेकिन उन्होंने शिकायत की कि उनकी ठोड़ी के क्षेत्र में एक प्लेट उभरी हुई है। जांच में पाया गया कि प्लेट उनकी ठोड़ी और गर्दन के क्षेत्र में उभरी हुई थी, जिसके कारण उन्हें काफी दर्द हो रहा था। उन्होंने बताया कि सीटी स्कैन करवाने पर पता चला कि निचले जबड़े के क्षेत्र में 6 सेमी का बड़ा गैप था। साथ ही प्लेट उभरी हुई थी। चूंकि प्लेट ठीक से मुड़ी नहीं थी, इसलिए यह त्वचा पर दबाव डाल रही थी। ऑपरेशन ठीक से न किए जाने के कारण ऐसा हुआ। यह अनुचित तरीके से इलाज किए गए कम्युनेटेड मैंडिबुलर फ्रैक्चर का मामला था, जिसके परिणामस्वरूप अवशिष्ट विकृति हुई।
कंप्यूटर सॉफ्टवेयर के जरिए की गई वर्चुअल सर्जरी
डॉ. संदीप पांडे ने बताया कि 3डी प्रिंटिंग तकनीक का उपयोग करके रोगी-विशिष्ट प्रत्यारोपण द्वारा उनका सफलतापूर्वक इलाज किया गया। थ्री-डायमेंशनल तकनीक में सबसे पहले रोगी के चेहरे का सीटी स्कैन किया गया। कंप्यूटर-सिमुलेटेड सॉफ्टवेयर से वर्चुअल सर्जरी की गई। उसके बाद एनाटॉमिकल मॉडल बनाया जाता है। उसके बाद 3डी प्रिंटिंग से कस्टम टाइटेनियम प्रत्यारोपण तैयार किए जाते हैं। उसके बाद ऑपरेशन किया जाता है। राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान (जिम्स) में पहली बार इस तकनीक से जबड़े का ऑपरेशन किया गया है। जबड़े के गैप को भरने के लिए कूल्हे की हड्डी का इस्तेमाल किया गया। अब मरीज पूरी तरह ठीक है। इस मौके पर डॉ. कुंती, डॉ. शुभम, डॉ. नाजिया और डॉ. सविता मौजूद रहीं।
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