वैश्विक मेडटेक क्षेत्र में अग्रणी के रूप में उभरने के लिए तैयार है भारत
-भारत चिकित्सा उपकरण मामले में एशिया का चौथा सबसे बड़ा बाजार

नई दिल्ली, 7 मई : भारत के मेडटेक उद्योग में अपार संभावनाएं हैं। अनुमान है कि सालाना 28% की दर से वृद्धि होगी जो 2030 तक 50 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच जाएगी। वर्तमान में, भारत चिकित्सा उपकरण मामले में एशिया का चौथा सबसे बड़ा बाजार है जो विश्व स्तर पर शीर्ष 20 में शामिल हैं। यह जानकारी रसायन और उर्वरक मंत्रालय के फार्मास्यूटिकल्स विभाग के सचिव डॉ अरुणीश चावला ने मंगलवार को नई दिल्ली में सीआईआई के सहयोग से आयोजित मेडिटेक स्टैकथॉन 2024 कार्यक्रम में दी।
सचिव ने कहा कि इस क्षेत्र में आयात में वृद्धि देखी गई है, जो मुख्य रूप से अमेरिका, चीन और जर्मनी जैसे देशों द्वारा संचालित है, हालांकि, भारत की मजबूत नीति पारिस्थितिकी तंत्र निर्यात को बढ़ावा देने और घरेलू विनिर्माण के माध्यम से आयात निर्भरता को कम करने के अवसर प्रस्तुत करता है। फार्मा सचिव अरुणीश चावला ने देश में चिकित्सा उपकरण उद्योग के विकास के लिए एक मजबूत नीति तैयार करने के लिए नीति निर्माताओं, उद्योग के एक साथ आने के महत्व पर जोर दिया। साथ ही मेडिकल डिवाइस की गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित करने को कहा ताकि भारत विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बन सके।
उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष के दौरान उपभोग्य सामग्रियों और डिस्पोजेबल्स में निर्यात ने आयात को पीछे छोड़ दिया है और उद्योग से मीडियाटेक क्षेत्र के अन्य स्तंभों में गति जारी रखने का आग्रह किया। सीआईआई के अध्यक्ष हिमांशु बैद ने कहा कि भारत का मेडटेक परिदृश्य संभावनाओं से भरा है, जो अगले दशक में वैश्विक बाजार हिस्सेदारी का 10% हासिल करने के लिए तैयार है। विश्व स्तरीय अस्पतालों, कुशल जनशक्ति और अत्याधुनिक संसाधनों से युक्त एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र से संपन्न, भारत वैश्विक मेडटेक क्षेत्र में अग्रणी के रूप में उभरने के लिए तैयार है।