अमर सैनी
नई दिल्ली, नोएडा, विशेष संवाददाता। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अरबों रुपये के भ्रष्टाचार के मामले में आरोपी और नोएडा प्राधिकरण के पूर्व मुख्य अभियंता यादव सिंह को बड़ी राहत देते हुए उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। शीर्ष अदालत ने मामले में सीबीआई द्वारा विशेष अदालत में पूरक आरोपपत्र दाखिल किए जाने के बाद जारी गिरफ्तारी वारंट को चुनौती देने वाली सिंह ओर से दाखिल याचिका विचार करते हुए यह अंतरिम आदेश दिया है।
जस्टिस ऋषिकेश रॉय और प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने यह आदेश तब दिया, जब सिंह की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नीरज किशन कौल ने कहा कि मामले में सीबीआई द्वारा पूरक आरोपपत्र दाखिल करने के बाद उनके मुवक्किल के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। उन्होंने याचिकाकर्ता सिंह की गिरफ्तारी की आशंका जताते हुए, इस पर रोक लगाने की मांग की। वरिष्ठ अधिवक्ता कौल की दलीलों पर संज्ञान लेते हुए, पीठ ने उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी। पीठ ने यादव सिंह की याचिका को चार सप्ताह बाद सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया है। साथ ही, याचिका पर सीबीआई को नोटिस जारी कर अपना जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।
भ्रष्टाचार के मामले में आरोपी सिंह की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कौल ने पीठ को बताया कि इस मामले में उनके मुवक्किल के तीन साल से अधिक समय तक जेल में रहने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी थी। उन्होंने पीठ से कहा कि मामले में नया पूरक आरोपपत्र दाखिल किए जाने के बाद नए सिरे से गिरफ्तारी की आशंका है। मामले में सीबीआई को नोटिस जारी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगले आदेश तक याचिकाकर्ता सिंह के खिलाफ किसी तरह की कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अक्तूबर, 2019 को यादव सिंह को जमानत देते हुए रिहा कर दिया था।
यह था मामला
भ्रष्टाचार के इस मामले में सिंह पर दिसंबर 2011 में कथित तौर पर 954 करोड़ रुपये के 1280 रखरखाव ठेकों का काम महज आठ दिन में कराने का आरोप था। सीबीआई ने जनवरी 2012 में सिंह के खिलाफ भ्रष्टाचार और अन्य आरोपों में मुकदमा दर्ज किया था।