
Gujarat News (अभिषेक बारड) : सरकारी अस्पताल में कौन जाता है? वहां तो कैसी इलाज होती होगी? ऐसा सवाल कुछ मरीजों के मन में आता है, लेकिन गांधीनगर सेक्टर–22 में स्थित आयुर्वेदिक अस्पताल में, जहां पिछले 33 सालों से सरकारी सेवा दे रहे वैद्य राकेश भट्ट का इलाज करवाने के लिए मरीज बेसब्री से इंतजार करते हैं। वैद्य राकेश भट्ट रोजाना आयुर्वेदिक अस्पताल में लगभग 200 मरीजों का इलाज करते हैं। इस आयुर्वेदिक अस्पताल में देश–विदेश से मरीज इलाज के लिए आते हैं और स्वस्थ होकर आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति के साथ–साथ राज्य सरकार का भी आभार व्यक्त करते हैं।
इस आयुर्वेदिक अस्पताल के अधीक्षक और वैध राकेश भट्ट ने बताया कि सरकारी आयुर्वेदिक कॉलेज से पढ़ाई करने के बाद 04 मई 1992 से विभिन्न आयुर्वेदिक अस्पतालों में लगभग 33 सालों से मरीजों की सेवा कर रहा हूं, इसके लिए मैं गुजरात सरकार का आभारी हूं। हमारे देश में प्राचीन समय से ग्रंथों और पुराणों में आयुर्वेद शास्त्र का अत्यधिक महत्व बताया गया है। वर्तमान समय में जल्दी स्वस्थ होने की इच्छा के कारण नागरिक आयुर्वेद को भूलकर अन्य दवाएं लेने को मजबूर हो गए हैं, जो लंबे समय में शरीर के लिए नुकसानदायक हैं।
आगे वैद्य ने बताया कि वर्ष 2006 में चिकनगुनिया रोग काफी फैला था, तब हमने रिसर्च कर एक आयुर्वेदिक काढ़ा बनाया था। राज्य सरकार के स्वास्थ्य विभाग के निर्देशानुसार, उस आयुर्वेदिक काढ़े का भादरवी पूर्णिमा के अवसर पर अंबाजी में दर्शन के लिए आए लगभग 6 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने लाभ लिया था। इस सफलता के बाद चिकनगुनिया रोग को खत्म करने वाले उस आयुर्वेदिक काढ़े का सामान्य नागरिक भी सावधानी के तौर पर उपयोग करने लगे। चिकनगुनिया के बाद राज्य के नागरिकों में स्वाभाविक रूप से आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति के प्रति अधिक जागरूकता आई और मरीज आयुर्वेदिक अस्पताल का लाभ लेने लगे। कोरोना काल में भी राज्य के नागरिकों ने विभिन्न आयुर्वेदिक काढ़ों के माध्यम से अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाकर कोरोना को हराया था।
आगे भट्ट ने बताया कि स्वस्थ व्यक्ति के स्वास्थ्य का संरक्षण करना आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति की प्राथमिकता रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ‘मेदस्विता मुक्त भारत’ अभियान की शुरुआत की गई है। यह अभियान मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल के दिशा–निर्देश और स्वास्थ्य मंत्री ऋषिकेश पटेल के नेतृत्व में गुजरात में और भी तेज़ हुआ है। इसी का परिणाम है कि हाल ही में गांधीनगर के आयुर्वेदिक सरकारी अस्पताल में अहमदाबाद जिले के 104 किलो वजन वाले एक मरीज का पंचकर्म, विरेचन कर्म और लेखन बस्ती जैसी आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति के जरिए 26 किलो वजन कम करने में सफलता मिली है। इसके अलावा, पश्चिम बंगाल के एक मरीज, जो 20 साल से अनिद्रा की बीमारी से पीड़ित थे, उन्हें शिरोधारा, नस्य, योगाभ्यास और आयुर्वेदिक दवाओं के जरिए अनिद्रा से मुक्ति दिलाई गई।
आगे राकेश ने जोड़ा कि इस अस्पताल में जीवनशैली से संबंधित मरीज, त्वचा के मरीज, जोड़ों के दर्द–रूमेटोलॉजी, साइटिका, सोरायसिस के मरीज अधिक आते हैं। इसके अलावा, राज्यपाल आचार्य देवव्रत से प्रेरणा लेकर, हमारे अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती होने वाले मरीजों को अस्पताल में ही प्राकृतिक खेती से तैयार भोजन दिया जाता है और मरीज को प्राकृतिक खेती के लाभ के बारे में समझाकर जागरूक किया जाता है।
भट्ट ने कहा कि हां, यह सच है कि आयुर्वेद शरीर पर धीरे–धीरे असर करता है, इसका परिणाम तुरंत नहीं मिलता। लेकिन यह भी उतना ही सत्य है कि आयुर्वेद द्वारा किया गया इलाज रोग को जड़ से खत्म करता है। जबकि अन्य दवाओं से एक रोग खत्म करते–करते आप दूसरे रोग के शिकार हो जाते हैं। आज के समय में दिनचर्या, ऋतुचर्या, मरीज की प्रकृति को ध्यान में रखकर उसका आहार–विहार तय किया जाता है। आज नागरिकों में आयुर्वेद के प्रति जागरूकता आई है। सचिवालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति अपनाकर अपनी जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों को दूर किया है, जो सबके लिए प्रेरणादायक है। किसी भी रोग के जड़ से निदान के लिए उन्होंने मरीजों से आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति अपनाने का आग्रह किया।