
नई दिल्ली, 15 अक्तूबर : धरती को प्रकाश से सराबोर करने वाले पर्व दिवाली के अवसर पर आतिशबाजी, आग और असावधानी से होने वाली घटनाओं को लेकर दिल्ली के अस्पताल अलर्ट पर हैं। हालांकि, आतिशबाजी पर कई वर्ष से प्रतिबंध लागू है लेकिन उत्साही लोग हर बार ना सिर्फ बम-पटाखे चलाते हैं। बल्कि घायल भी हो जाते हैं। पिछले साल 300 से अधिक लोग पटाखों और दीयों से जलने के कारण झुलस गए थे, जबकि 2023 में यह आंकड़ा 246 था।
इस संबंध में लोकनायक अस्पताल, आरएमएल अस्पताल, जीटीबी अस्पताल, एम्स दिल्ली और सफदरजंग अस्पताल समेत तमाम अन्य अस्पतालों में अतिरिक्त एंटीसेप्टिक, बैंडेज, दवाइयां और अतिरिक्त बेड की 24 घंटे उपलब्धता सुनिश्चित की गई है। साथ ही डॉक्टरों, नेत्र रोग विशेषज्ञों, नर्सों, पैरामेडिकल स्टाफ, तकनीशियन आदि सहित अतिरिक्त कर्मचारियों की व्यवस्था की गई है। आरएमएल अस्पताल के बर्न और प्लास्टिक सर्जरी विभाग के अध्यक्ष डॉ. समीक भट्टाचार्य ने बताया कि हमने दिवाली से एक दिन पहले, दिवाली के दिन और दिवाली के अगले दिन आपातकालीन विभाग में आने वाले मरीजों को सीधे बर्न विभाग में इलाज उपलब्ध कराने का प्रबंध किया है।
वहीं, आग या धमाके से हाथ में लगी चोट का इलाज ‘नर्व्स ब्लॉक ऑन अराइवल’ तकनीक से किया जाएगा। इसमें लोगों की सबसे बड़ी समस्या तीव्र दर्द होता है जो पटाखों में मौजूद वाइट फास्फोरस के चोटिल अंग में प्रवेश करने के कारण लगातार होता रहता है। इस इंजेक्शन से मरीज को भयंकर दर्द की स्थिति से तुरंत राहत मिलती है। उन्होंने बताया कि 4 आईसीयू बेड के साथ 15 सामान्य बेड आरक्षित किए गए हैं। जीटीबी अस्पताल के एएमएस डॉ. प्रवीण कुमार ने बताया कि जेआर, एसआर और अन्य डॉक्टरों की टीम 24 घंटे मौजूद रहेगी। इस दौरान बर्न विभाग और कैजुअल्टी विभाग की टीम मरीजों का इलाज करेगी। मरीजों के लिए स्पेशल वार्ड बनाया गया है जहां उन्हें सभी सुविधा मिलेंगी।
लोकनायक अस्पताल के एएमएस डॉ. प्रफुल कुमार ने बताया कि दिवाली के अवसर पर आग और धमाकों से पीड़ित मरीजों के लिए 90 अतिरिक्त बेड आरक्षित रखे गए हैं। वहीं, संभावित कैजुअल्टी के मद्देनजर आपदा प्रबंधन वार्ड के 90 बेड भी तैयार हैं। सफदरजंग अस्पताल के बर्न विभाग की अध्यक्ष डॉ. सुजाता साराभाई ने बताया कि दिवाली तीन दिनों का त्योहार है। इस अवसर (दिवाली) पर हम विशेष रूप से 20 बिस्तर और बर्न्स कैजुअल्टी में 10 अतिरिक्त बिस्तर खाली रखते हैं। एक ही छत के नीचे समग्र देखभाल प्रदान करने के लिए ऑर्थोपेडिक, एनेस्थीसिया, नेत्र रोग जैसे अन्य विशेषज्ञ डॉक्टरों को जुटाया जा रहा है। साथ ही अतिरिक्त एम्बुलेंस और अतिरिक्त ट्रॉली की व्यवस्था की जा रही है।
क्या करें?
-दीये को परदे व अन्य आग पकड़ने वाली जगहों से दूर रखें।
-दीया जलाने के बाद खुली जगहों पर रखें।
-दीये आंख की सीध में यानि ऊंचाई पर रखें।
-खिड़कियों पर जाली लगाएं ताकि बाहर से पटाखा या अन्य आतिशबाजी अंदर ना आ पाए।
क्या ना करें?
-दीये जलाकर जमीन पर ना रखें।
-ऐसे ढीले-ढाले कपड़े न पहनें जो आग पकड़ सकते हों।
आग से जलने पर क्या करें ?
-जले घाव को बहते हुए पानी के नीचे 15 मिनट रखें।
-फफोलों को न फोड़ें।
-साफ कपड़े या पट्टी से ढके।
-पीड़ित को पानी पिलाएं।
-जले हुए क्षेत्र में चिपके हुए कपड़े को ना निकालें।
-प्रभावित क्षेत्र पर टूथपेस्ट, रतनजोत, मरहम या तेल ना लगाएं।
-आंखों में कुछ चला जाए तो उसे तुरंत ठंडे पानी से धोएं।
-पीड़ित को जितनी जल्दी हो सके डॉक्टर के पास ले जाएं।
पटाखे चलाने के दौरान क्या करें ?
-पानी से भरी बाल्टी, एक पाइप और प्राथमिक उपचार का डिब्बा पास रखें।
-पटाखे जलाने के लिए लंबी फुलझड़ी या टेपर का उपयोग करें, झुककर पास से न जलाएं।
-पटाखे जलाने के लिए हमेशा बड़े खुले स्थान पर जाएं।
-जले हुए (या न जले हुए) पटाखों को फेंकने से पहले पानी की बाल्टी में डालकर भिगो दें।
-कम उम्र के बच्चों को पटाखों के पास न जाने दें।
-बच्चों को कभी भी खुद पटाखे जलाने न दें।
-जो पटाखे नहीं फूटे हैं उन्हें दोबारा जलाने की कोशिश न करें।
-घर के अंदर या पार्किंग क्षेत्र में पटाखे कभी न जलाएं।
-पटाखों को इधर-उधर न फेंकें और न ही सबको एक साथ जलाएं।
-शिशुओं को हमेशा घर के भीतर रखें और दरवाजे-खिड़कियां बंद रखें।