
नई दिल्ली, 8 अक्तूबर : एम्स दिल्ली के रेडियो डायग्नोसिस विभाग की डॉ. सुरभि व्यास ने कहा, ब्रैस्ट कैंसर युवाओं में तेजी से फैल रहा है। जिनमें 20-25 वर्ष की युवा महिलाओं से 40 वर्ष की प्रौढ़ महिलाएं भी शामिल हैं लेकिन नियमित स्तन निरीक्षण और कैंसर स्क्रीनिंग के जरिये ब्रेस्ट कैंसर से बचाव संभव है।
40 वर्ष से अधिक आयु की महिलाओं को कैंसर स्क्रीनिंग यानी मैमोग्राफी करानी चाहिए जिससे बीमारी होने और ना होने की सटीक और विश्वसनीय जानकारी मिलती है। लेकिन मैमोग्राफी को लेकर समाज में कई मिथक प्रचलित हैं जिनके चलते अधिकांश महिलाएं मैमोग्राफी कराने से कतराती हैं। डॉ व्यास ने कहा, उक्त सभी बातें सिर्फ और सिर्फ झूठ या मिथक हैं। भ्रम हैं। इन पर विश्वास न करें। मैमोग्राफी, स्तन की एक छवि होती है जैसे छाती का एक्सरे होता है। इस जांच प्रक्रिया में उतना ही रेडिएशन प्रयुक्त होता है जितना छाती के सामान्य एक्स रे में होता है। मैमोग्राफी के दौरान किसी- किसी को हल्का दर्द महसूस हो सकता है। मगर दर्द की जानकारी डॉक्टर या टेक्नीशियन को देने पर वह दर्द को और कम करने में मदद कर सकते हैं। वहीं, 20 वर्ष आयु की महिलाओं को स्वयं ही अपने स्तनों का निरीक्षण करना चाहिए। उन्हें 40 वर्ष की आयु तक प्रतिमाह स्तन में गांठ, निप्पल से रक्त या पानी के स्राव और जख्म आदि की जांच करनी चाहिए। डॉ व्यास ने कहा, स्तन निरीक्षण में गांठ या स्राव जैसे लक्षण आने का मतलब कैंसर के फोड़े का विकास होना शुरू हो चुका है। हालांकि प्रत्येक गांठ कैंसर नहीं होती है।
मैमोग्राफी को लेकर मिथक :
-मैमोग्राफी के रेडिएशन से कैंसर होता है।
-ये टेस्ट कम उम्र में नहीं बड़ी उम्र (50 -60 वर्ष) में कराना चाहिए।
-मैमोग्राफी कराने से बीमारी और फैल जाती है।
जीवन रक्षा के लिए मैमोग्राफी जरुरी
-मैमोग्राफी मासिक धर्म के बाद करानी चाहिए, दर्द कम होता है।
-40 वर्ष की उम्र में महिलाएं मैमोग्राफी कराएं। फिर प्रत्येक दो वर्ष में नियमित जांच कराएं।
-50 वर्ष से 75 वर्ष उम्र की महिलाओं को प्रतिवर्ष मैमोग्राफी करानी चाहिए।
-यह टेस्ट 30 -35 साल की उम्र में भी कराया जा सकता है।
-मैमोग्राफी, दुनिया की सबसे सुरक्षित जांच तकनीक है जिसका कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है।
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