मशहूर ई- कॉमर्स साइट के नाम पर फर्जीवाड़ा, 21 गिरफ्तार
मशहूर ई- कॉमर्स साइट के नाम पर फर्जीवाड़ा, 21 गिरफ्तार
अमर सैनी
नोएडा। थाना सेक्टर-63 पुलिस ने एक फर्जी कॉल सेंटर का पर्दाफाश करते हुए 21 लोगों को गिरफ्तार किया है। जिसमें 5 महिलाएं भी शामिल हैं। पुलिस का दावा है कि पकड़े गए आरोपी मशहूर ई-कॉमर्स साइट NYKAA, EBAY, MYNTRA, ETSY का प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराने के नाम पर ठगी करते थे। आरोपी पिछले करीब 6 महीनों में 1 हजार रुपसे ज्यादा लोगों से करोड़ों रुपये की ठगी कर चुके हैं। इनमें से ज्यादातर विक्रेता दूसरे राज्यों के हैं।
डीसीपी शक्ति मोहन अवस्थी ने बताया कि साइबर हेल्प डेस्क पर लगातार ऐसी शिकायतें मिल रही थीं। सूचना के आधार पर एक टीम को लेकर सेक्टर-63 डी-247/01 में इन्फोबीम सॉल्यूशंस कंपनी के पते पर जाकर जांच की गई। यहां NYKAA, EBAY, MYNTRA, ETSY आदि ई-कॉमर्स कंपनियों के फर्जी सर्टिफिकेट फ्रेम करके दीवारों पर लगाए गए थे। ताकि आने-जाने वालों को यह विश्वास हो जाए कि इन ई-कॉमर्स कंपनियों को उनके प्लेटफॉर्म पर उत्पाद बेचने के लिए अधिकृत किया गया है। जब पुलिस वहां पहुंची तो फर्जी सर्टिफिकेशन का काम किया जा रहा था। पुलिस ने मौके से 21 लोगों को गिरफ्तार किया। इनकी पहचान जोगेंद्र कुमार, हिमांशु शर्मा, गोपाल सक्सेना, रेयांश शर्मा, अखिल गर्ग, निशांत, रवि कुमार, सरस भारद्वाज, अनिल कुमार, कार्तिक मिश्रा, आकाश यादव, पंकज उपाध्याय, लोकेश चौधरी, प्रदीप कुमार, मुकुल त्यागी, आकाश शर्मा, स्वीटी, मोनिका वर्मा, गुंजन चौहान, पूर्ति, गुंजन कत्याल के रूप में हुई। इनके पास से 12 डेस्कटॉप कंप्यूटर, 12 लैपटॉप आदि बरामद किए गए।
अब जानिए किस तरह करते थे ठगी
पुलिस पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि वह NYKAA, EBAY, MYNTRA, ETSY आदि नामी ई-कॉमर्स कंपनियों से अधिकृत बताते थे। ये सोशल मीडिया के जरिए विज्ञापन देते थे कि जो लोग इन कंपनियों के प्लेटफॉर्म से अपना सामान बेचना चाहते हैं, वे हमसे सर्टिफिकेट ले सकते हैं। इस विज्ञापन में उनका मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी दी गई थी। विक्रेता से संपर्क करने पर विक्रेताओं द्वारा बताया जाता था कि यदि आप अपना सामान उक्त ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर बेचना चाहते हैं तो आपको हमें फीस के रूप में पैसे देने होंगे। जिसके बाद हम आपके सामान को बिक्री के लिए ई-कॉमर्स वेबसाइट पर विज्ञापित करेंगे। विक्रेता इन लोगों पर भरोसा करते थे। उनके भरोसे का फायदा उठाकर ये लोग उन्हें बहला-फुसलाकर अपने सामान का ई-कॉमर्स पर विज्ञापन करने के एवज में पैसे ठग लेते थे। जब विक्रेता इन लोगों के झांसे में आकर उनके खाते में पैसे भेज देते थे तो ये लोग न तो उनके सामान का ई-कॉमर्स पर विज्ञापन करते थे और न ही उनके पैसे वापस करते थे। ये सभी लोग इसी तरह से अन्य लोगों से चैट करते थे और कंपनी के खातों में सेवा देने के नाम पर पैसे हड़प लेते थे। प्लेटफॉर्म के अनुसार फीस
प्रति ग्राहक 10 हजार से 20 हजार रुपये वसूलते
इन लोगों ने फीस तय कर रखी थी। उदाहरण के लिए प्लेटफॉर्म के अनुसार फीस ली जाती थी। यानी ये प्रति ग्राहक 10 हजार से 20 हजार रुपये फीस लेते थे। यह फीस समय के अनुसार ली जाती थी। अगर किसी उत्पाद का प्रसारण एक महीने तक करना है तो उसके लिए अलग से फीस लगती थी। अब ये लोग करोड़ों रुपए की ठगी कर चुके हैं। पुलिस ने इनके कई खाते फ्रीज कर दिए हैं। जिसकी जांच की जा रही है।
जोगेंद्र, गुंजन और आकाश हैं सरगना
डीसीपी ने बताया कि इस कंपनी के डायरेक्टर जोगेंद्र, गुंजन कत्याल और आकाश शर्मा फर्जी सर्टिफिकेट तैयार करते थे। इसके बाद कर्मचारियों से उन्हें भेजने के लिए कहते थे। कर्मचारी उनसे मिले डेटा नंबर का वॉट्सऐप पर विज्ञापन बनाकर भेजते थे। अगर कोई विक्रेता फंस जाता था तो उससे पैसे ऐंठ लेते थे। इस पैसे में से कुछ पैसे कर्मचारियों को देते थे और बाकी आपस में बांट लेते थे।