
VS Achuthanandan Death: केरल के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ वाम नेता वीएस अच्युतानंदन का 101 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वामपंथी आंदोलन के प्रमुख स्तंभ रहे अच्युतानंदन का जाना एक युग का अंत है।
VS Achuthanandan का निधन: 101 साल की उम्र में कहा दुनिया को अलविदा
वामपंथी राजनीति के दिग्गज नेता और केरल के पूर्व मुख्यमंत्री VS Achuthanandan का सोमवार को निधन हो गया। वे 101 वर्ष के थे और लंबे समय से अस्वस्थ चल रहे थे। उन्हें बीते महीने दिल का दौरा पड़ा था, जिसके बाद से वे अस्पताल में भर्ती थे। उनकी स्थिति लगातार गंभीर बनी हुई थी और अंततः सोमवार सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली।
अस्पताल में भर्ती, कई नेता पहुंचे हालचाल लेने
VS Achuthanandan का इलाज एक निजी अस्पताल में चल रहा था। सोमवार सुबह मुख्यमंत्री पिनराई विजयन, वित्त मंत्री के. एन. बालगोपाल और सीपीएम के राज्य सचिव सहित कई प्रमुख नेता अस्पताल पहुंचे और उनका हालचाल लिया। कुछ ही देर बाद उनके निधन की खबर सामने आई, जिससे पूरे राज्य और पार्टी में शोक की लहर दौड़ गई।
वामपंथी आंदोलन के स्तंभ
VS Achuthanandan न केवल केरल बल्कि पूरे देश में वामपंथी राजनीति का एक मज़बूत चेहरा रहे हैं। वे कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सिस्ट) के संस्थापक सदस्यों में से एक थे। उन्होंने न केवल पार्टी को मजबूत किया, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक आंदोलनों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
उनका राजनीतिक जीवन संघर्ष, ईमानदारी और सादगी के लिए जाना जाता था। उन्होंने भूमिसुधार, भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम और श्रमिक अधिकारों की लड़ाई में अग्रणी भूमिका निभाई।
मुख्यमंत्री के रूप में उल्लेखनीय कार्यकाल
2006 से 2011 तक वीएस अच्युतानंदन केरल के मुख्यमंत्री रहे। उनके कार्यकाल में भ्रष्टाचार के खिलाफ कड़े कदम उठाए गए और आम जनता की समस्याओं के प्रति संवेदनशीलता दिखाई गई। उनका प्रशासनिक कार्यकाल पारदर्शिता और जवाबदेही के लिए याद किया जाएगा।
एक युग का अंत
VS Achuthanandan का निधन केवल एक व्यक्ति की मृत्यु नहीं है, बल्कि यह एक युग का अंत है। वे उन नेताओं में से थे जिन्होंने विचारधारा को जीवन में जिया। राजनीति में रहते हुए भी उन्होंने कभी भी अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया।
उनकी सादगी, ईमानदारी और निर्भीक नेतृत्व को पीढ़ियां याद रखेंगी। उन्होंने राजनीति को सेवा का माध्यम माना और सत्ता को कभी भी निजी लाभ के लिए इस्तेमाल नहीं किया।
जनहित के मुद्दों के प्रति सजग
उन्होंने भूमि सुधार जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर निर्णायक कदम उठाए। गरीबों और मजदूरों के हित में उन्होंने हमेशा आवाज उठाई। शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसे क्षेत्रों में उनकी नीतियों का असर आज भी केरल में देखा जा सकता है।
पार्टी और जनता में शोक की लहर
वीएस अच्युतानंदन के निधन से पार्टी कार्यकर्ताओं और उनके प्रशंसकों में गहरा शोक व्याप्त है। सोशल मीडिया पर भी लोग उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं और उनके योगदान को याद कर रहे हैं।
वीएस अच्युतानंदन का जीवन प्रेरणा का स्रोत था। वे सच्चे अर्थों में जननेता थे, जिन्होंने न केवल विचारधारा को जिया, बल्कि जनता की सेवा को ही अपना धर्म माना। उनका निधन वामपंथी राजनीति, केरल और भारतीय राजनीति के लिए एक अपूरणीय क्षति है।