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डॉक्टरों पर हमले के विरोध में जीटीबी अस्पताल की चिकित्सा सेवा ठप, आपात सेवा जारी

- सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम और संस्थागत एफआईआर दर्ज होने तक हड़ताल जारी रखेंगे डॉक्टर : आरडीए

नई दिल्ली, 9 जुलाई : गुरु तेग बहादुर (जीटीबी) अस्पताल के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग के रेजिडेंट डॉक्टरों ने भीड़ पर हमले का आरोप लगाया है। रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन के मुताबिक मंगलवार सुबह करीब 50 से 70 लोगों की भीड़ ने हथियारों से लैस होकर स्त्री रोग विभाग पर धावा बोल दिया। उन्होंने कर्मचारियों को धमकाने के साथ वहां तोड़फोड़ की और डॉक्टर रूम का दरवाजा भी तोड़ दिया। आरडीए ने भीड़ पर पीजी डॉक्टर के साथ मारपीट करने का भी आरोप लगाया।

डॉक्टरों का कहना है कि इस हमले ने चिकित्सा कर्मचारियों और रोगियों के जीवन को गंभीर खतरे में डाल दिया है। यूसीएमएस और जीटीबी अस्पताल के सीनियर और जूनियर रेजिडेंट्स इस घटना से नाराज हैं। आरडीए अध्यक्ष डॉ नितेश कुमार ने कहा कि हम, इस अपराध के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग करते हैं। हम अपनी सुरक्षा और अपने मरीजों की सुरक्षा के लिए कोई और खतरा बर्दाश्त नहीं करेंगे। इस संबंध में संस्थागत एफआईआर दर्ज होने और सुरक्षा के लिए पुख्ता इंतजाम होने तक हम हड़ताल पर रहेंगे। इस दौरान केवल आपातकालीन सेवाएं चालू रहेंगी।

सुरक्षा के बाउंसर हो तैनात
आरडीए अध्यक्ष ने अस्पताल परिसर में डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए सभी हॉटस्पॉट क्षेत्रों में तत्काल और मजबूत सुरक्षा उपाय लागू किए जाएं। जिनमें पर्याप्त संख्या में सुरक्षाकर्मियों और बाउंसरों को तैनात करने के साथ अरसे से बंद पड़े सीसीटीवी कैमरों को चालू किया जाना भी शामिल है। उन्होंने कहा, हम सिक्योरिटी बढ़ाने की मांग पूरी होने का इंतजार करेंगे और मांग पूरी होने ही हड़ताल खत्म करेंगे। वर्ना हड़ताल जारी रहेगी।

एक बेड पर 4 मरीज
आरडीए अध्यक्ष ने कहा अस्पताल के स्त्री रोग विभाग में महिला मरीजों के लिए पर्याप्त बेड तक उपलब्ध नहीं है। जिसके चलते मरीजों और उपचार करने वाले डॉक्टरों को भी परेशानी का सामना करना पड़ता है। अस्पताल के एक बेड पर चार- चार तो कभी छह- छह महिलाओं को भर्ती रखना पड़ता है।
क्या है मामला ?
डॉ कुमार ने बताया कि मंगलवार सुबह एक महिला की प्रसव के बाद पोस्ट पार्टम हेमरेज होने के कारण मौत हो गई। पीपीएच एक दुर्लभ स्थिति है, जिसमें प्रसव के बाद महिला को ज्यादा रक्तस्राव होता है। यह महिला कई अन्य चिकित्सकीय दिक्कतों से भी पीड़ित थी। गंभीर प्रयासों के बावजूद डॉक्टर महिला को बचा नहीं सके। इसके बाद पीड़िता के तीमारदारों ने अन्य लोगों को इकठ्ठा करके मेडिकल स्टाफ पर धावा बोल दिया।

 

 

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