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NCB के ऑपरेशन ‘MELON’ में देश का सबसे बड़ा ऑनलाइन स्मगलर गिरफ्तार, 1 करोड़ की ड्रग्स व क्रिप्टो करेंसी जब्त

NCB के ऑपरेशन ‘MELON’ में देश का सबसे बड़ा ऑनलाइन स्मगलर गिरफ्तार, 1 करोड़ की ड्रग्स व क्रिप्टो करेंसी जब्त

रिपोर्ट: रवि डालमिया

नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैले एक बड़े ड्रग्स सिंडिकेट का पर्दाफाश करते हुए भारत के सबसे सक्रिय डार्कनेट ड्रग वेंडर ‘Ketamelon’ को धर दबोचा है। इस अभियान के तहत NCB ने केरल के दो आरोपियों को गिरफ्तार कर उनके कब्जे से करीब 1 करोड़ रुपये की ड्रग्स और डॉलर के रूप में क्रिप्टोकरेंसी बरामद की है। ऑपरेशन ‘MELON’ के नाम से चलाए गए इस मिशन को कोचीन ज़ोनल यूनिट के नेतृत्व में अंजाम दिया गया।

NCB ने बताया कि इस मामले में दो अलग-अलग स्थानों पर छापेमारी की गई, जिसमें चेन्नई में एक बड़ी कार्रवाई के दौरान 1,127 LSD ब्लॉट्स, 131.66 ग्राम केटामाइन और 70 लाख रुपये की क्रिप्टोकरेंसी जब्त की गई। इसके अलावा तलाशी के दौरान डार्कनेट तक पहुंच के लिए उपयोग किए जा रहे तकनीकी उपकरण जैसे KITES OS वाला पेन ड्राइव, हार्ड डिस्क और हार्डवेयर क्रिप्टो वॉलेट भी जब्त किए गए।

NCB के डिप्टी डायरेक्टर जनरल (ऑप्स) नीरज कुमार गुप्ता (IPS) ने बताया कि Ketamelon पिछले दो वर्षों से डार्कनेट के ज़रिए देशभर में ड्रग्स की डिलीवरी कर रहा था और 600 से अधिक पार्सल भेजे जा चुके थे। संगठन द्वारा दिल्ली, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश सहित कई राज्यों में मादक पदार्थों की आपूर्ति की जा चुकी है।

28 जून को तीन अलग-अलग पार्सलों से 280 LSD ब्लॉट्स बरामद किए गए, जिसके बाद 29 जून को संदिग्ध आरोपी के घर पर छापा मारकर शेष ड्रग्स और डिजिटल सबूत बरामद किए गए। जांच में यह सामने आया है कि आरोपी तकनीक की गहरी समझ रखता था और पूरी तरह एन्क्रिप्टेड डार्कनेट प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल करता था ताकि ट्रेस न हो सके।

नीरज कुमार गुप्ता ने कहा कि, “यह भारत में अब तक का सबसे संगठित और तकनीकी रूप से सुसज्जित डार्कनेट सिंडिकेट में से एक था। Ketamelon की गिरफ्तारी से न केवल एक बड़े ड्रग नेटवर्क का अंत हुआ है, बल्कि युवाओं को बर्बाद करने वाले एक अंतरराष्ट्रीय गिरोह को भी रोकने में सफलता मिली है।”

NCB की टीम अभी भी जांच में जुटी हुई है और यह आशंका जताई जा रही है कि आने वाले दिनों में इस सिंडिकेट से जुड़े और लोगों की गिरफ्तारी हो सकती है। एजेंसी अब तक की डिजिटल फॉरेंसिक जांच और पार्सल डिलीवरी के रिकॉर्ड खंगाल रही है, ताकि ड्रग्स प्राप्त करने वाले अन्य ग्राहकों की पहचान की जा सके।

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