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नई दिल्ली: युद्ध की नई कला व आत्मनिर्भरता की झलक था ऑपरेशन सिंदूर

नई दिल्ली: -आतंकवाद की जड़ें चाहे कितनी भी गहरी क्यों न हों, उसका विनाश सुनिश्चित किया जाएगा

नई दिल्ली, 14 अगस्त : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सशस्त्र बलों द्वारा चलाया गया ऑपरेशन सिंदूर, दुनिया भर में जारी तमाम विषम युद्धों के बीच एक संतुलित सैन्य प्रतिक्रिया के रूप में उभरा है। यह बातें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 79वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर आकाशवाणी से प्रसारित ‘सैनिकों के नाम संदेश’ में कहीं।

उन्होंने कहा, ऑपरेशन के दौरान भारत की ओर से की गई कार्रवाई ना सिर्फ एक सटीक और सफल सैन्य रणनीति का एक शानदार उदाहरण थी। बल्कि एक नए दृष्टिकोण, तकनीकी प्रगति और आत्मनिर्भरता की झलक थी। राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत ने ड्रोन युद्ध, बहुस्तरीय वायु रक्षा, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध और नेटवर्क-केंद्रित ऑपरेशन जैसे अत्याधुनिक उपकरणों का सफलतापूर्वक उपयोग किया और साबित किया कि भारत अब विदेशी तकनीक पर निर्भर नहीं है।

रक्षा मंत्री ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर की संतुलित रणनीति का अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि चंद मिनटों में ही लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के मुख्यालयों समेत नौ आतंकी प्रशिक्षण शिविरों को सटीक मिसाइल हमलों से तबाह कर दिया गया और किसी भी नागरिक क्षेत्र या पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठान को निशाना नहीं बनाया गया। उन्होंने आगे कहा कि भारतीय सशस्त्र बलों ने न तो नियंत्रण रेखा पार की और न ही अंतर्राष्ट्रीय सीमा का उल्लंघन किया, फिर भी दुश्मन के इलाके में छिपे आतंकी ढाँचे को करारा झटका देने में कामयाब रहे।

राजनाथ सिंह ने इस प्रतिक्रिया को युद्ध की नई कला का प्रतीक बताया,जहां भारत अब पारंपरिक सीमाओं से बंधा नहीं है, बल्कि आधुनिक तकनीक, सटीक खुफिया जानकारी और चतुर सैन्य रणनीतियों का उपयोग कर रहा है। उन्होंने कहा, ऑपरेशन सिंदूर भारत का एक स्पष्ट संदेश है कि आतंकवाद की जड़ें कितनी भी गहरी क्यों न हों, उसका समूल नाश सुनिश्चित किया जाएगा। यह अभियान तब तक जारी रहेगा जब तक आतंकवाद के समूल नाश का लक्ष्य प्राप्त नहीं हो जाता।

मजबूत अर्थव्यवस्था की पहली शर्त आत्मनिर्भरता
रक्षा मंत्री ने बताया कि आज भारत 65 प्रतिशत विनिर्माण अपनी धरती पर कर रहा है और केवल 35 प्रतिशत आयात किया जा रहा है, जबकि पहले सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए 65-70 प्रतिशत रक्षा उपकरण आयात किए जाते थे। उन्होंने रक्षा बजट में निरंतर वृद्धि का भी जिक्र किया, जो वित्त वर्ष 2013-14 के 2.53 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2025-26 में 6.81 लाख करोड़ रुपये हो गया है।राजनाथ सिंह ने कहा कि वार्षिक रक्षा उत्पादन, जो वित्त वर्ष 2014-15 में लगभग 46,000 करोड़ रुपये था, 1.51 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड आंकड़े को छू गया है, जबकि रक्षा निर्यात, जो लगभग 1,900 करोड़ रुपये था, बढ़कर अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है।

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