
नई दिल्ली, 4 मई : यातायात दुर्घटना होने, पानी में डूबने, गलती से जहर खाने और ऊंचाई से गिरने के अलावा विद्युत-आघात लंबे समय से आकस्मिक मौत होने का प्रमुख कारण रहा है। ऐसे में बिजली के झटके और विद्युत आघात से पीड़ित लोगों के जीवन की रक्षा के लिए एम्स ट्रॉमा सेंटर में बिजली कर्मियों को प्रशिक्षित किया जा रहा है।
दरअसल, इलाके में विद्युत ओवरलोड होने, आग लगने, बिजली के घातक झटके लगने या चोट लगने की स्थिति में पुलिस, दमकल और बिजली विभाग के कर्मचारी सबसे पहले घटनास्थल पर पहुंचते हैं। इनमें से बिजली कर्मी अक्सर इलाके में तैनात रहते हैं। जिसके चलते केंद्र सरकार की पहल पर एम्स दिल्ली के प्लास्टिक सर्जरी विभाग ने लाइनमैन स्तर के कर्मियों के लिए विशेष पाठ्यक्रम तैयार किया है।
एम्स ट्रॉमा सेंटर के सर्जरी विभाग की डॉ. सुषमा सागर ने बताया, बिजली का झटका तब लगता है जब बिजली का करंट आपके शरीर को छूता है या उसमें से होकर गुजरता है। यह कहीं भी हो सकता है जहां बिजली हो। हालांकि, घरों में आउटलेट से लगने वाले झटके अक्सर हल्के होते हैं, जबकि बिजली की लाइनों से लगने वाले झटके या विद्युत आघात गंभीर और घातक हो सकते हैं। जब बिजली का झटका घातक होता है, तो इसे इलेक्ट्रोक्यूशन कहते हैं।
उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार की पहल पर एम्स ने बिजली वितरण कंपनी बीएसईएस के करीब 6000 कर्मचारियों को आपातकालीन प्रतिक्रिया प्रशिक्षण प्रदान करने का फैसला किया है। ताकि विद्युत दुर्घटना से पीड़ित व्यक्ति को मौके पर ही आपातकालीन चिकित्सा सुलभ हो सके। बिजली का करंट लगने से कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं, जिनमें जलना, सांस लेने में परेशानी और दिल की धड़कन रुकना शामिल हैं। यह झटके दिल के साथ मस्तिष्क, मांसपेशियों और हड्डियों को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं।
डॉ सागर के मुताबिक इस प्रशिक्षण का उद्देश्य कर्मचारियों के आपातकालीन प्रतिक्रिया कौशल को बढ़ाना है, जो अक्सर दुर्घटनाओं, बिजली के झटके, आग लगने और अन्य गंभीर घटनाओं के समय घटनास्थल पर सबसे पहले प्रतिक्रिया देने वाले होते हैं। यह पाठ्यक्रम बिजली कर्मियों को आपात स्थितियों का कुशलतापूर्वक और सावधानी से प्रबंधन करने में सक्षम बनाता है। फिलहाल 120 कर्मियों को सीपीआर, गॉज पट्टी और अन्य जीवन रक्षक तकनीकों का प्रशिक्षण दिया गया है।
विद्युत चोटों के प्रकार
विद्युत चोटों के चार मुख्य प्रकार होते हैं जिनमें फ्लैश, फ्लेम, लाइटनिंग और ट्रू शामिल हैं। आर्क फ्लैश के कारण होने वाली फ्लैश चोटें आमतौर पर सतही जलन से जुड़ी होती हैं, क्योंकि कोई भी विद्युत धारा त्वचा से आगे नहीं जाती है। फ्लेम इंजरी तब होती है जब आर्क फ्लैश किसी व्यक्ति के कपड़ों को जला देता है और इन मामलों में विद्युत धारा त्वचा से गुजर सकती है। बिजली की चोटें, जिसमें बहुत कम लेकिन बहुत उच्च वोल्टेज वाली विद्युत ऊर्जा शामिल होती है, व्यक्ति के पूरे शरीर से प्रवाहित होने वाली विद्युत धारा से जुड़ी होती है।
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