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जेवर एयरपोर्ट के लिए छोड़ी पुरखों की जमीन खस्ताहाल, चारों तरफ भरा पानी

जेवर एयरपोर्ट के लिए छोड़ी पुरखों की जमीन खस्ताहाल, चारों तरफ भरा पानी

अमर सैनी

नोएडा। ग्रेटर नोएडा में जेवर एयरपोर्ट के लिए दर्जनों गांव विस्थापित हो चुके हैं। कुछ गांव के अभी भी धीरे-धीरे कर जमीन छोड़ रहे हैं। इनमें से ही एक गांव रनहेरा है। एयरपोर्ट के नाम पर गांव की जमीन और मकान छोड़ने वाले ग्रामीण अब मुसीबत में हैं। गांव के घरों में पानी भर गया है, साथ ही सड़कें भी बुरी तरह जलमग्न हैं। ग्रामीणों ने विकास के नाम पर अपने गांव की जमीन देने का फैसला किया था, लेकिन अब स्थिति यह है कि प्रशासन और प्राधिकरण उनकी मदद करने में नाकाम साबित हो रहा है।
ग्रेटर नोएडा में जेवर एयरपोर्ट का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है और इसके 2025 तक चालू होने की उम्मीद है। एयरपोर्ट के निर्माण के लिए एक दर्जन से ज्यादा गांवों को विस्थापित किया गया है। रन्हेरा गांव को भी इसी योजना के तहत विस्थापित किया गया था और प्राधिकरण ने गांव को सभी सुविधाएं देने का आश्वासन दिया था। लेकिन अब गांव की स्थिति बद से बदतर हो गई है। भारतीय किसान यूनियन के पश्चिमी उत्तर प्रदेश अध्यक्ष पवन खटाना ने कहा कि रन्हेरा गांव के लोग एयरपोर्ट और क्षेत्रीय विकास के लिए अपना गांव छोड़कर गए थे। लेकिन जहां उन्हें बसाया गया है, वहां की स्थिति बेहद दयनीय है। गांव के चारों ओर पानी भर गया है और सड़कें भी जलमग्न हैं। शिकायतों के बावजूद यमुना प्राधिकरण के अधिकारियों ने कोई कार्रवाई नहीं की है।

सुविधाएं नहीं मिलने पर होगा आंदोलन
पश्चिमी उत्तर प्रदेश अध्यक्ष पवन खटाना ने चेतावनी दी कि अगर प्रशासन और प्राधिकरण ने गांव के लोगों को जल्द जरूरी सुविधाएं नहीं दीं तो भारतीय किसान यूनियन 10 सितंबर को गांव पहुंचकर आंदोलन की अगली रणनीति तैयार करेगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि विस्थापन के समय प्राधिकरण ने जो सुविधाएं देने का वादा किया था, वह तुरंत दी जाएं। अगर ऐसा नहीं होता है तो आंदोलन किया जाएगा।

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