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स्वस्थ महिला-समृद्ध समाज के लिए प्री एक्सलैंप्शिया की रोकथाम जरुरी

- महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान होने वाली एक गंभीर रक्तचाप की स्थिति है प्री एक्सलैंप्शिया

नई दिल्ली, 22 मई: प्री एक्सलैंप्शिया, गर्भावस्था के दौरान होने वाली एक गंभीर रक्तचाप की स्थिति है। यह आमतौर पर गर्भावस्था के 11वें से 14वें सप्ताह में विकसित होती है। यह महिला और उसके गर्भस्थ शिशु के शरीर में खून के प्रवाह को प्रभावित करती है जिससे शिशु के मस्तिष्क और शरीर के विकास पर बुरा असर पड़ता है। इस वजह से कई बार शिशु मृत जन्म (स्टिल बोर्न) लेता है। यह जानकारी राम मनोहर लोहिया अस्पताल के रेडियो डायग्नोसिस विभाग की प्रमुख डॉ शिबानी मेहरा ने बुधवार को प्री एक्सलैंप्शिया जागरूकता कार्यक्रम के दौरान दी।

उन्होंने बताया कि प्री एक्सलैंप्शिया में, गर्भवती महिला के मूत्र में प्रोटीन के स्तर के साथ रक्तचाप अचानक बढ़ जाता है। इससे थक्के जमने की समस्या भी हो सकती है, जो लिवर और किडनी जैसे अंगों को प्रभावित कर सकती है। इस स्थिति से बचाव के लिए महिला को गर्भावस्था के 11वें से 14वें सप्ताह में डॉप्लर अल्ट्रासाउंड कराना चाहिए जिससे भ्रूण में रक्त प्रवाह, रक्त के थक्के और उसके स्वास्थ्य के बारे में सटीक जानकारी मिलती है। इस जांच के बाद डॉक्टर गर्भवती महिला की रिपोर्ट के आधार पर दवाइयां देते हैं जिससे शिशु के स्वास्थ्य में सुधार आता है। साथ ही स्टिल बोर्न होने की संभावना कम हो जाती है।

इस अवसर पर डॉ शिबानी मेहरा ने संरक्षण नाम की मुहिम को बढ़ावा देने की बात कही। संरक्षण इण्डियन रेडियोलोजी इमेजिंग एसोसिएशन द्वारा शुरू किया गया कार्यक्रम है जिसके तहत 100 से अधिक रेडियोलॉजिस्ट्स को संरक्षण के मुख्य चरणों से परिचित कराया गया। उन्होंने कहा, गर्भावस्था के पहले चरण में डॉपलर जांच द्वारा प्री एक्सलैंप्शिया के जोखिम का अन्दाजा लगाया जा सकता है और दवाई देकर रोका जा सकता है। डॉ मेहरा ने कहा, गर्भवती महिला के उपचार के दौरान उसका ब्लड प्रेशर नियमित रूप से जांचने के साथ डॉप्लर टेस्ट कराना चाहिए। अगर महिला में प्री एक्सलैंप्शिया का खतरा नजर आता है तो प्रत्येक चार हफ्ते में जांच करानी चाहिए। गर्भावस्था के दौरान महिला के स्वास्थ्य में सुधार आने की निरंतर निगरानी करनी चाहिए। अगर फिर भी समस्या आती है तो आठ महीने में ही प्रसव (सिजेरियन) कराना चाहिए।

क्या होता है डॉपलर
भ्रूण के हृदय और रक्त वाहिकाओं की जांच करने के लिए भ्रूण डॉपलर अल्ट्रासाउंड प्रसूति विज्ञान में एक सामान्य इमेजिंग तकनीक है। इसमें रक्त प्रवाह, रक्त के थक्के और भ्रूण के स्वास्थ्य की जांच की जाती है। डॉपलर अल्ट्रासाउंड का उपयोग भ्रूण में रक्त के प्रवाह को देखने के लिए किया जाता है।

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