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उत्तर प्रदेश : मथुरा में पुरी पीठाधीश्वर निश्चलानंद सरस्वती के बयान पर विवाद

Mathura News (सौरभ) : मथुरा में पुरी पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज द्वारा चैतन्य महाप्रभु को लेकर दिए गए बयान पर विवाद खड़ा हो गया है। शंकराचार्य जी ने चैतन्य महाप्रभु को ‘दशनाम संन्यासी’ बताते हुए कहा था कि “चैतन्य महाप्रभु को गौड़ीय ने कहां से कहां पहुंचाया।” उनके इस वक्तव्य पर गौड़ीय संप्रदाय और ब्रज के प्रतिष्ठित कथावाचकों ने कड़ी नाराजगी जताई है।

गौड़ीय संप्रदाय ने दी तीखी प्रतिक्रिया

राधा वल्लभ मंदिर के सेवायत और प्रसिद्ध कथावाचक पुंडरीक गोस्वामी जी महाराज ने शंकराचार्य के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। पुंडरीक गोस्वामी ने चैतन्य महाप्रभु को ‘दशनाम संन्यासी’ बताए जाने पर असहमति जताते हुए उन्हें ‘स्वयं भगवान’ और ‘ठाकुर जी का अवतार’ बताया।

शंकराचार्य को नसीहत

पुंडरीक गोस्वामी जी महाराज ने कहा कि श्री कृष्ण चैतन्य महाप्रभु स्वयं भगवान हैं। उनकी भगवत्ता को स्वीकार करना चाहिए। उन्होंने शंकराचार्य को नसीहत देते हुए कहा कि किसी की आस्था को लेकर सावधान रहना चाहिए और उनकी भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचानी चाहिए।

तंज कसते हुए कहा

गोस्वामी जी ने शंकराचार्य पर तंज कसते हुए कहा, “पुरी में आपके होते हुए भी मांस-मदिरा नहीं रुक रही है।” पुंडरीक गोस्वामी का यह बयान सनातन धर्म के दो प्रमुख पीठों (शंकराचार्य पीठ और गौड़ीय संप्रदाय) के बीच सैद्धांतिक मतभेद को उजागर करता है।

विवाद गरमा गया

गौड़ीय संप्रदाय चैतन्य महाप्रभु को राधा-कृष्ण का संयुक्त अवतार मानता है, जबकि शंकराचार्य का बयान उन्हें केवल एक संन्यासी परंपरा से जोड़ता है। इस बयान के बाद ब्रज के धार्मिक गलियारों में यह विवाद गरमा गया है। अब आगे क्या होगा? क्या यह विवाद और बढ़ेगा या दोनों पक्षों के बीच समझौता होगा?

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