उत्तर प्रदेश, नोएडा: डिजिटल तरीके से कटेंगे चालान, ट्रैफिक पुलिस का घटेगा कार्यभार
उत्तर प्रदेश, नोएडा: डिजिटल तरीके से कटेंगे चालान, ट्रैफिक पुलिस का घटेगा कार्यभार

अजीत कुमार
उत्तर प्रदेश, नोएडा।देश में पहली बार ट्रैफिक चालान प्रणाली को पूरी तरह स्वचालित और डिजिटल बनाने की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की गई है। नोएडा सेक्टर 31 स्थित राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय के शिक्षकों ने मिलकर एक ऐसी तकनीक विकसित की है, जो वाहनों से संबंधित समस्त दस्तावेजों की स्थिति स्वत: जांच सकेगी और नियम उल्लंघन की दशा में बिना किसी मैनुअल हस्तक्षेप के चालान जारी कर सकेगी।
कॉलेज के प्राचार्य डॉ दिनेश चंद के निर्देशन में कंप्यूटर साइंस विभाग के अध्यक्ष डॉ शिशुपाल सिंह तथा बेसिक शिक्षा विभाग, सिकंदराबाद में कार्यरत रीना रानी ने इस सिस्टम को तैयार किया है। दोनों विशेषज्ञों ने संयुक्त रूप से सॉफ्टवेयर और रेडियो फ्रीक्वेंसी पहचान तकनीक के माध्यम से ऐसा सिस्टम विकसित किया है, जो ट्रैफिक पुलिस की कार्यप्रणाली को पूरी तरह डिजिटल रूप में बदल देगा।
इस सिस्टम को ऑटोमेटेड व्हीकल कंप्लायंस एंड डिजिटल चालान जनरेशन सिस्टम यूजिंग रेडियो फ्रीक्वेंसी बेस्ट डिटेक्शन नाम दिया गया है, जिसे भारत सरकार के कॉपीराइट विभाग द्वारा 12 जुलाई को कॉपीराइट प्रदान किया गया। यह प्रणाली न केवल ओवर स्पीडिंग, नो पार्किंग या सीट बेल्ट जैसे सामान्य यातायात उल्लघंनों का पता लगाएगी, बल्कि वाहनों के दस्तावेज बीमा, पॉल्यूशन सर्टिफिकेट, रजिस्ट्रेशन और ड्राइविंग लाइसेंस की वैधता का भी स्वत: जांच करेगी।
पुलिसकर्मी को मैनुअल प्रक्रिया करने की आवश्यकता नहीं : इस प्रणाली में रेडियो फ्रीक्वेंसी पहचान तकनीक का उपयोग किया गया है। सड़कों के मुख्य बिंदुओं पर लगाए गए आरएफडीआई (रेडियो फ्रीक्वेंसी पहचान) सेंसर गुजरते हुए प्रत्येक वाहन के टैग को स्कैन करेंगे और उससे संबंधित जानकारी तुरंत सेंट्रल सॉफ्टवेयर सिस्टम तक पहुंचा देंगे। यह सॉफ्टवेयर वाहन के दस्तावेजों की वैधता को सरकारी डेटाबेस से मिलान करेगा। यदि वाहन का बीमा, लाइसेंस या प्रदूषण प्रमाणपत्र समाप्त पाया जाता है, तो यह सिस्टम चालान जनरेट कर देगा। डॉ शिशुपाल ने बताया कि अभी तक चालान प्रक्रिया कैमरे से प्राप्त फोटो और ऑप्टिकल कैरेक्टर रिकग्निशन (ओसीआर) तकनीक पर निर्भर है, जिससे कई बार दस्तावेज की स्थिति की जांच नहीं कर पाता। लेकिन इस नई तकनीक से वाहन की पहचान से साथ उसकी संपूर्ण दस्तावेजीय स्थिति की जानकारी भी स्वचालित रूप से प्राप्त होगी।
ऑटोमेटेड रिपोर्ट से कर सकेंगे कार्रवाई : इस सिस्टम के लागू होने से ट्रैफिक पुलिस के कार्यभार में भारी कमी आएगी। अधिकारी केवल ऑटोमेटेड रिपोर्ट देख सकेंगे और आवश्यकतानुसार कार्रवाई कर सकेंगे। चालान प्रक्रिया पारदर्शी होगी, जिससे गड़बड़ी होने की संभावना कम रहेगी। प्राचार्य डॉ दिनेश चंद ने कहा यह नवाचार सड़क सुरक्षा और डिजिटल प्रशासन की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा।
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