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उत्तर प्रदेश, नोएडा: रूस और अफ्रीकी देशों से वुड कार्विंग के कारोबारियों को मिल रहे अच्छे आर्डर

उत्तर प्रदेश, नोएडा: रूस और अफ्रीकी देशों से वुड कार्विंग के कारोबारियों को मिल रहे अच्छे आर्डर

अजीत कुमार
उत्तर प्रदेश, नोएडा।यूपी इंटरनेशनल ट्रेड शो में आए सहारनपुर के वुड कार्विंग के कारोबारियों को रूस और अफ्रीकी देशों का अच्छा साथ मिल रहा। कारोबारियों का दावा है कि इन देशों से उन्हें इस बार अच्छे आर्डर मिल रहे हैं। अमेरिकी टैरिफ के बाद अब उन्हें नए बाजार की तलाश भी है। साथ ही उनका माननाा है कि इस बार उन्हें दो सौ करोड़ से अधिक के आर्डर मिलने की उम्मीद है। वहीं, माल की डिलीवरी होने के बाद इन देशों से और अधिक आर्डर भी मिल सकते हैं। यूपी इंटरनेशनल ट्रेड शो में सहारनपुर के वुड कार्विंग उद्योग से जुड़े कारोबारियों के तीस से अधिक स्टॉल हैं।

इन स्टॉलों पर विदेशी खरीदार बड़ी संख्या में आ रहे। विदेशी खरीदार जो लकड़ी के नक्काशीदार फर्नीचर, शीशे, फोटो फ्रेम, क्राकरी, वॉल हैंगिग और अन्य सजावटी सामानों को खासा पसंद कर रहे हैं और उनके आर्डर भी दे रहे। सहारनपुर वुड कार्विंग एसोसिएशन के जरनल सेक्रेटरी और लियो इंटरनेशनल के संचालक परविन्द्र सिंह ने कहा कि अब तक अमेरिका को करीब 40 से 45 प्रतिशत का निर्यात होता था, लेकिन निर्यात पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगने से वहां के बाजार से झटका लगा है और क्रिसमस के लिए मिले ऑर्डर रोक दिए गए हैं। इस ट्रेड शो में एक अच्छा संकेत भी मिला है और रूस के बाजार में उनकी दमदार उपस्थिति होने जा रही है। उन्होंने बताया कि इस बार रूस, साउथ अफ्रीकी देश, इंडोनेशिया और तुर्किये समेत अन्य देशों से भी अच्छे आर्डर मिल रहे हैं। उम्मीद है कि इन देशों से दो सौ करोड़ से अधिक के आर्डर वुड कार्विंग से जुड़े कारोबारियों को मिलेंगे। उनके यहां पर ही बीते चार दिनों में 50 से अधिक विदेशी कारोबारी आर्डर देने के लिए आ चुके। वहीं, वुड कार्विंग कारोबारी संजीव साहनी, अनवार आदि ने बताया कि साउथ अफ्रीकी देशों और रूस से ग्राहक उनके स्टॉल पर आ रहे हैं और आर्डर दे रहे हैं। इसके अलावा गोवा और दक्षिण भारतीय राज्यों से भी आर्डर मिल रहे हैं। इसका लाभ हस्तशिल्पियों को भी मिलेगा और उनका हुनर अन्य बाजारों में भी पहुंच सकेगा। उन्होंने सरकार से मांग करते हुए कहा कि अमेरिकी टैरिफ ने वुड कार्विंग से जुड़े लोगों को बड़ा झटका दिया है, जिसको देखते हुए सरकार को इस इंडस्ट्री के लिए राहत पैकेज की घोषणा करनी चाहिए। युद्ध के चलते कारोबार पर असर पड़ा वुड कार्विंग उद्योग से जुड़े कारोबारियों का कहना है कि रूस-यूक्रेन युद्ध और अमेरिका के टैरिफ वार से झटका लगा है। साथ ही ईरान-इजरायल संघर्ष ने भी वुड कार्विंग उद्योग पर असर डाला हैं। इससे वुड कार्विंग उद्योग का निर्यात 60 प्रतिशत तक कम हुआ है। सहारनपुर से तैयार माल का करीब 15 फीसदी हिस्सा ईरान समेत अन्य गल्फ देशों में जाता है, लेकिन मौजूदा हालात के चलते कारोबार ठप पड़ गया है। इतना ही नहीं, अमेरिका के टैरिफ बढ़ने की वजह से अधिकांश ऑर्डर होल्ड पर हैं। दुनिया भर में मशहूर हैं सहारनपुर का वुडन कार्विंग मुगलकाल से ही सहारनपुर का वुड कार्विंग उद्योग भारत ही नहीं बल्कि दुनियाभर में अपनी बारीक नक्काशी और लकड़ी पर हाथ के हुनर के लिए जाना जाता है। यहां कारीगर लकड़ी पर सुंदर डिजाइन बनाकर तरह-तरह के फर्नीचर और सजावटी सामान तैयार करते हैं। इनकी मांग विदेशों में भी खासी रहती है। सहारनपुर के नक्काशीदार फर्नीचर और सजावटी सामान की सबसे ज्यादा मांग विदेशों में होती है। देश में वुड कार्विंग फर्नीचर की सबसे ज्यादा डिमांड दक्षिण भारत में है जहां 40 प्रतिशत फर्नीचर की सप्लाई की जाती है। इसके बाद करीब 20 प्रतिशत दिल्ली, पंजाब और हरियाणा में आपूर्ति की जाती है जबकि 40 प्रतिशत में अन्य राज्य आते हैं। अब पिछले कुछ समय से गोवा में भी यहां के फर्नीचर की मांग बढ़ी है। इन देशों में होता है अधिक निर्यात कारोबारियों के अनुसार सहारनपुर से वुड कार्विंग उत्पादों का निर्यात विश्व के कई देशों में होता है। इसमें 40 से 45 प्रतिशत अमेरिका, 20 से 25 फीसदी यूरोपीय देशों और 10 से 15 प्रतिशत निर्यात मध्य पूर्व के देशों में होता है। फ्रांस, जर्मनी, इटली, फ्रांस, यूनाइटेड किंगडम, स्वीडन, आस्ट्रेलिया, डेनमार्क, नीदरलैंड, दक्षिणी अफ्रीका, दुबई के अलावा संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, यूक्रेन आदि में भी काष्ठ हस्तशिल्प उत्पादों को काफी पसंद किया जाता है। इसके अलावा अब नए मार्किट के रूप में रूस, साउथ अफ्रीका, इंडोनेशिया, तुर्किये में भी निर्यात बढ़ा है।

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