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उत्तर प्रदेश, नोएडा: बिल्डर ऑफिस के बाहर सैकड़ों होमबायर्स का प्रदर्शन

उत्तर प्रदेश, नोएडा: बिल्डर ऑफिस के बाहर सैकड़ों होमबायर्स का प्रदर्शन

अजीत कुमार
उत्तर प्रदेश, नोएडा। 16 साल के इंतजार के बाद भी जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड के करीब 17 हजार होम बायर्स को अब तक घर नहीं मिल सका है। इसके लिए अधिकांश होम बायर्स आज फिर सेक्टर-128 जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड (JIL) के आफिस के बाहर एकत्रित हुए। वहां उन्होंने प्रदर्शन किया। अपनी मांगों को लेकर अधिकारियों से बातचीत की। हालांकि अब तक कोई नतीजा निकलकर नहीं आया।

दरअसल जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड ने यहां 150 आवासीय टावर बनाने की योजना बनाई। जिसमें 2010 में 17 हजार से ज्यादा बायर्स ने बुकिंग कराई। 2013-14 से उनको पजेशन मिलना था। बायर्स ने कहा कि लोन की ईएमआई तक पूरी हो चुकी है। जेपी को फ्लैट का पूरा पैसा तक दिया जा चुका है। लेकिन अब तक हमे फ्लैट नहीं मिले। दिवालिया प्रक्रिया में जाने के बाद NCLT ने सुरक्षा को टावरों का कंस्ट्रक्शन करने की जिम्मेदारी दी। मई 2024 में योजना हैंडओवर होने के बाद तीन से चार महीने में निर्माण शुरू करने का वायदा किया गया।वर्तमान में, चार परियोजनाओं कॉसमॉस, क्लासिक, केंसिंग्टन बुले वार्ड और केंसिंग्टन पार्क अपार्टमेंट और हाइट्स – में काम चल रहा है, जिसमें 62 टावर शामिल हैं और 6,067 घर खरीदार शामिल हैं। हालांकि, कॉसमॉस और केंसिंग्टन बुलेवार्ड में 15 टावरों पर काम अभी शुरू होना बाकी है।

सितंबर में शुरू करना था निर्माण
बायर्स का आरोप है सितंबर 2024 में भी सुरक्षा ने निर्माण कार्य शुरू नहीं किया। वादा किया गया था कि आठ महीने में एक-एक टावर का निर्माण करके पजेशन दिया जाएगा। आज अप्रैल-2025 आ गया अब तक निर्माण शुरू नहीं किया गया। ऐसे में कहा तक इंतजार किया जाए। सोसाइटी का कहना है कि घर खरीदार लगातार अनदेखी का शिकार हो रहे हैं, और कंपनी केवल अपने हितों को प्राथमिकता दे रही है। NCLT में 15 अप्रैल को इस मामले में सुनवाई है।

कार्यों को लेकर दोबारा होगी बैठक
प्रदर्शन के दौरान SHO की मौजूदगी में सुरक्षा रियल्टी के CEO अभिजीत गोहिल से बायर्स की बैठक हुई। जिसमें सभी मुद्दों पर खुलकर चर्चा की गई। अगली बैठक 19 अप्रैल को तय हुई है। जिसमें प्रगति की समीक्षा की जाएगी। बायर्स ने सुरक्षा रियल्टी पर कई गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि आवश्यक अनुमति मिलने के बावजूद अब तक निर्माण कार्य शुरू नहीं किया गया है।

12 हजार की बजाय 2 हजार श्रमिक
जहां 12,000 श्रमिकों की आवश्यकता थी, वहां मात्र 2,000 श्रमिक तैनात हैं। जिससे काम लगभग ठप पड़ा है। समाधान योजना के अनुसार निर्धारित 3,000 करोड़ रुपए की फंडिंग अब तक नहीं जुटाई जा सकी है।कंपनी द्वारा पारदर्शिता का पूरी तरह अभाव रहा है न तो कोई मोबाइल ऐप विकसित किया गया है, न ही नियमित अपडेट्स या खरीदारों से संवाद की कोई व्यवस्था है। अंत में, कई आवासीय परियोजनाएं अब भी UPRERA की प्रतीक्षा सूची में शामिल हैं। जिससे खरीदारों की चिंता और बढ़ गई है।

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