उत्तर प्रदेश, गाजियाबाद: प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट ‘काक जी’ का निधन
उत्तर प्रदेश, गाजियाबाद: प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट 'काक जी' का निधन
अमर सैनी
उत्तर प्रदेश, गाजियाबाद। शहर के प्रसिद्ध कार्टूनिस्ट हरिश्चंद्र शर्मा (काक जी) का 1 जनवरी 2025 को निधन हो गया। उनके घर पर परिवार और करीबी लोग गहरे शोक में हैं। काक जी अपनी अनोखी कला और कार्टून बनाने की प्रतिभा के कारण बेहद लोकप्रिय थे। उनके निधन की खबर से उनके प्रशंसकों में गहरा दुख है।
25 दिसंबर को मैक्स वैशाली अस्पताल में उनका हार्निया का ऑपरेशन हुआ था, लेकिन आज सुबह 5:30 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन से परिवार और मित्रों में शोक की लहर है। उनका अंतिम संस्कार हिंडन, गाजियाबाद में किया जाएगा, जहां परिवार और करीबी लोग उन्हें अंतिम विदाई और श्रद्धांजलि देंगे। काक जी ने अपने कार्टून और चित्रों से समाज में एक गहरी पहचान बनाई थी।हरीश चंद्र शुक्ला का जन्म 16 मार्च 1940 को उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के छोटे से गांव पुरा में हुआ था। वे पेशे से मैकेनिकल इंजीनियर थे। उनके पिता, शोभा नाथ शुक्ला, स्वतंत्रता सेनानी थे जिससे उन्हें बचपन से ही प्रेरणा मिली। 1983 से 1990 का समय काक के कार्टूनों का स्वर्णिम दौर माना जाता है। उस समय अखबार पढ़ने वाले अधिकांश लोग सबसे पहले उनके कार्टून देखते थे और फिर समाचार पढ़ते थे। उनकी हास्य भावना और तीखे कटाक्ष ने राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों को बखूबी उकेरा।
सिग्नेचर नाम था काक
दरअसल कार्टूनिस्ट हरिश्चंद्र शर्मा ‘काक’ उनका एक सिग्नेचर नाम था। जिसने उन्हें कला और साहित्य के क्षेत्र में एक अलग पहचान दिलाई। उनके निधन की खबर उनके बेटे सुभव ने सोशल मीडिया पर साझा की, जिसने उनके प्रशंसकों और कला प्रेमियों को गहरा आघात पहुंचाया।
कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित हैं काक जी
काक जी को उनके अद्वितीय योगदान के लिए कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। 2003 में हिंदी अकादमी दिल्ली ने उन्हें “काका हाथरसी सम्मान” से नवाजा। उसी वर्ष, एर्नाकुलम (कोच्चि) में आयोजित कार्टून शिविर के दौरान उन्हें केरल ललित कला अकादमी और केरल कार्टून अकादमी द्वारा सम्मानित किया गया। 2009 में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ कार्टूनिस्ट्स, बैंगलोर ने काक को लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया। उसी वर्ष कार्टून वॉच द्वारा आयोजित कार्टून फेस्टिवल में डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने उन्हें लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड दिया। इसके बाद 2016 में काक को पत्रकारिता में उत्कृष्टता के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया और 2017 में भारतीय प्रेस परिषद ने उन्हें सम्मानित किया।