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उत्तर प्रदेश, गाजियाबाद: महंत के बयान पर बवाल करने वालों में से 37 की पहचान, जांच अभी जारी

उत्तर प्रदेश, गाजियाबाद: महंत के बयान पर बवाल करने वालों में से 37 की पहचान, जांच अभी जारी

अमर सैनी

उत्तर प्रदेश, गाजियाबाद। कमिश्नरेट पुलिस ने डासना देवी मंदिर के महंत यति नरसिंहानंद ‌के विवादित बयान पर प्रतिक्रिया स्वरूप बवाल करने वाले 37 लोगों की पहचान की है। पुलिस जांच अभी जारी है बाकी लोगों की भी पहचान की जा रही है, साथ ही मामले में आए एक पूर्व विधायक के नाम के सवाल पर पुलिस का कहना है कि अभी ऐसी पुष्टि नहीं हुई है। 29 सितंबर को गाजियाबाद के हिंदी भवन में महंत के विवादित बयान के बाद 4 अक्टूबर, 2024 को देर रात डासना मंदिर के बाहर काफी संख्या में इकठ्ठे हुए दूसरे समुदाय के लोगों ने बवाल किया था। मामले में वेव सिटी थाने में तैनात एसआई भानू की ओर से मुकदमा दर्ज कराया गया था और कुछ लोगों की गिरफ्तारियां भी हुई थीं।

4 अक्टूबर को देर शाम डासना में देवी मंदिर के बाहर इकठ्ठे होकर प्रदर्शन करने से रोके जाने पर कुछ लोगों ने पुलिस की पीआरवी पर हमला कर दिया था। पथराव के बाद पुलिस ने लाठीचार्ज कर भीड़ को मौके से खदेड़ा था। मामले में पुलिस 100-150 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। मामले की जांच कर रहे एसीपी (क्राइम) अजय कुमार सिंह ने बताया कि 4 अक्टूबर को हुए बवाल के 37 आरोपियों की पुलिस ने शिनाख्त कर ली है, जांच जारी है, चार्जशीट में शिनाख्त बाद ही आरोपियों को नामजद किया जाएगा।

कई राज्यों में हुए थे प्रदर्शन
डासना मंदिर के महंत और जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद के द्वारा 29 सितंबर को दिए गए विवादित बयान के वायरल होने के बाद कई राज्यों में प्रदर्शन हुए थे। मामले में मुस्लिम समाज के लोगों में आक्रोश व्याप्त हो गया था, कई स्थानों पर उग्र प्रदर्शन के बाद मुकदमें भी दर्ज हुए थे। वेव सिटी थाने में पुलिस पर पथराव के बाद सरकारी कार्य में बाधा डालने, पुलिस के खिलाफ नारेबाजी करने, पत्थरबाजी करने और हवा में हथियार लहराने का मुकदमा दर्ज किया गया था।

17 लोगों को गिरफ्तार किया था
पुलिस ने मौके पर निरोधात्मक कार्रवाई करते हुए भीड़ को खदेड़ दिया था, इसके साथ ही 17 लोगों को हिरासत में लेकर जेल भेजा गया था। उस समय जेल भेजे गए आरोपियों पर निरोधात्मक कार्रवाई के ल‌िए मामूली धाराओं में नामजद किया गया था। प्रदर्शनकारियों के द्वारा पीआरपी पर तैनात पुलिस कर्मियों के साथ गाली गलौज और अभद्र भाषा का प्रयोग किया था। मामले में पुलिस के द्वारा बाद में बीएनएस की धारा-ती भी जोड़ी गई थी। यह धारा दूसरे की संपत्ति पर कब्जे का बखान करने पर लगाई जाती है।

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