Noida Cyber Crime: 1.7 करोड़ रुपये की साइबर ठगी केस में अदालत सख्त, आरोपी आसिफ चौधरी की अग्रिम जमानत याचिका खारिज

Noida Cyber Crime: 1.7 करोड़ रुपये की साइबर ठगी केस में अदालत सख्त, आरोपी आसिफ चौधरी की अग्रिम जमानत याचिका खारिज
नोएडा।
जिले की अपर सत्र अदालत ने 1.7 करोड़ रुपये की बड़े स्तर की साइबर ठगी में आरोपी आसिफ चौधरी को बड़ी राहत देने से इनकार कर दिया है। अदालत ने अग्रिम जमानत याचिका को अस्वीकार करते हुए स्पष्ट कहा कि मामला गंभीर आर्थिक अपराध से जुड़ा है, जिसमें करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी हुई है। इसलिए अग्रिम जमानत का कोई न्यायोचित आधार नहीं बनता। यह मामला थाना साइबर क्राइम में दर्ज है और पुलिस पहले ही आरोपी की भूमिका और लेनदेन की जांच कर रही है।
अभियोजन पक्ष के अनुसार मामला पिछले साल का है, जब सेक्टर-50 में रहने वाले पीड़ित सन्मूखा राव गुनिटी ने ठगी की शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत में बताया गया कि वह फेसबुक के माध्यम से शेयर बाजार निवेश समूह से जुड़े थे और बाद में उन्हें एक व्हाट्सऐप ग्रुप में शामिल किया गया। इस समूह में ‘ज़िग्गलन’ नामक एक ऑनलाइन निवेश एप को बड़े वित्तीय संस्थान के रूप में प्रस्तुत किया गया, जहां उच्च मुनाफे का लालच दिखाया जाता था।
पीड़ित ने दो महीनों के भीतर लगभग 1.7 करोड़ रुपये विभिन्न बैंक खातों में जमा कर दिए। एप पर दिखाया गया उनका निवेश बढ़कर 16 करोड़ रुपये तक पहुंच गया, लेकिन जब उन्होंने पैसे निकालने की कोशिश की, तो उन्हें बार-बार नए नियमों का हवाला देकर रोका गया। इसके बाद उनका अकाउंट ब्लॉक कर दिया गया और संपर्क पूरी तरह समाप्त कर दिया गया। तब जाकर पीड़ित को ठगी का अहसास हुआ।
अदालत में आरोपी पक्ष की ओर से कहा गया कि आसिफ चौधरी ने जनवरी 2024 में नौकरी दिलाने के नाम पर अपना बैंक खाता, पासबुक, एटीएम कार्ड और मोबाइल नंबर ओसामा, वासिफ और आफताब नामक व्यक्तियों को सौंप दिया था। बाद में इन लोगों ने खाते का इस्तेमाल कर लगभग 12 लाख रुपये निकाले। आरोपी पक्ष का दावा है कि आसिफ ने यह राशि 14 फरवरी 2024 को उन्हें वापस दे दी और तुरंत अपना खाता बंद कर दिया।
हालांकि अभियोजन पक्ष ने यह तर्क दिया कि आरोपी के बैंक खाते का उपयोग भारी मात्रा में धनराशि स्थानांतरित करने में किया गया और कुछ रकम सीधे उसके खाते में भी पहुंची है। पुलिस जांच में आरोपी के खाते से जुड़े करीब 43 साइबर अपराधों के रिकॉर्ड भी सामने आए हैं। अदालत ने माना कि उपलब्ध तथ्यों से आरोपी की भूमिका संदिग्ध और गंभीर प्रतीत होती है।
इस आधार पर अदालत ने अग्रिम जमानत देने से इंकार करते हुए कहा कि साइबर अपराध समाज के आर्थिक ढांचे और विश्वास पर गहरा प्रहार करते हैं, और ऐसे मामलों में कठोर दृष्टिकोण अपनाना आवश्यक है।





