सेरेलैक को नस्लीय रूप से बनाने का आरोप दुर्भाग्यपूर्ण : नेस्ले इंडिया
- 18 महीने से कम उम्र के बच्चों के लिए कंपनी के शिशु आहार में चीनी की अधिकता का मामला

नई दिल्ली, 29 अप्रैल ( टॉप स्टोरी न्यूज़ नेटवर्क ): दैनिक उपभोग के सामान बनाने वाली नेस्ले इंडिया ने सोमवार को कहा कि 18 महीने से कम उम्र के बच्चों के लिए कंपनी का शिशु आहार फॉर्मूला वैश्विक आधार पर तैयार किया जाता है और इसे नस्लीय रूप से बनाए जाने का आरोप दुर्भाग्यपूर्ण एवं असत्य है। इस महीने की शुरुआत में स्विट्जरलैंड की कंपनी नेस्ले पर कम विकसित देशों में अधिक चीनी सामग्री वाले उत्पाद बेचने का आरोप लगाया गया था।
नेस्ले इंडिया के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक सुरेश नारायणन ने इस मसले पर यहां संवाददाताओं से कहा कि शिशु आहार में चीनी की मात्रा एक विशेष आयु वर्ग के पोषण प्रोफाइल को पूरा करने की क्षमता से निर्धारित होती है और यह सार्वभौमिक है। उन्होंने दावा किया कि शिशु आहार उत्पाद सेरेलैक में चीनी की मात्रा खाद्य सुरक्षा नियामक एफएसएसएआई की तरफ से तय सीमा से काफी कम है। नारायणन ने कहा, इस उत्पाद में ऐसा कुछ भी नहीं है जो इसे ऐसा उत्पाद बनाता हो जिसके सेवन से बच्चे को कोई खतरा हो या किसी तरह का नुकसान हो। इस उत्पाद में मौजूद अधिकांश चीनी प्राकृतिक शर्करा है। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के मुताबिक, शिशु आहार में चीनी का स्वीकार्य स्तर प्रति 100 ग्राम पाउडर में 13.6 ग्राम का है। नारायणन ने कहा, नेस्ले के उत्पाद में यह मात्रा 7.1 ग्राम है, जो तय मानकों और अधिकतम सीमा से काफी कम है।
स्विट्जरलैंड के गैर-सरकारी संगठन पब्लिक आई और इंटरनेशनल बेबी फूड एक्शन नेटवर्क (आईबीएफएएन) ने हाल ही में कहा कि नेस्ले ने यूरोपीय देशों की तुलना में भारत जैसे कम-विकसित देशों में अधिक चीनी की मात्रा वाले शिशु आहार की बिक्री की। इन आरोपों पर नेस्ले इंडिया के प्रमुख ने कहा कि 18 महीने से कम उम्र के बच्चों के भोजन के लिए हर उत्पाद वैश्विक आधार पर तैयार किया जाता है। उन्होंने कहा, पोषण संबंधी पर्याप्तता का अध्ययन करने के लिए कोई स्थानीय दृष्टिकोण नहीं है। विश्व स्तर पर बढ़ते बच्चों को भरपूर ऊर्जा वाले उत्पादों की जरूरत होती है और उसी के हिसाब से उत्पाद तैयार किए जाते हैं। लिहाजा यूरोप और भारत एवं दुनिया के अन्य हिस्से के बच्चों के बीच कोई अंतर नहीं किया जाता है।