देश का हर चौथा खाद्य उत्पाद लैब जांच में फेल
-खाद्य पदार्थों में मिलावट करने वालों पर एफएसएसएआई कसेगा शिकंजा
नई दिल्ली, 29 अप्रैल ( टॉप स्टोरी न्यूज़ नेटवर्क ): ब्रांडेड और गैर ब्रांडेड खाद्य उत्पादों के लैब परीक्षण में देश का लगभग हर चौथा उत्पाद भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) के गुणवत्ता मानकों पर खरा नहीं उतर सका है। दरअसल, एफएसएसएआई ने देशभर में मिलावटखोरों के खिलाफ एक वृहद अभियान चला रखा है जिसके तहत बीते तीन वर्षों में 3 गुना से अधिक खाद्य उत्पादों के नमूनों की जांच की गई।
इस अभियान के तहत 2020-21 में 1,07,829 सैंपल में से 28,347 (26.28%) सैंपल फेल, 2021-22 में 1,44,345 सैंपल में से 32,934 (22.81%) सैंपल फेल और 2022-23 में 1,77,511 सैंपल में से 44,626 (25.14%) सैंपल एफएसएसएआई के गुणवत्ता मानकों पर खरे नहीं उतर सके और फेल हो गए। इन तमाम खाद्य नमूनों में विषाक्त पदार्थों, एंटीबायोटिक अवशेषों, कीटनाशक अवशेषों आदि की सीमा की जांच के साथ सूक्ष्मजीवविज्ञानी मानदंड, पैकेजिंग और लेबलिंग की जांच की गई थी।
वहीं 2023-24 में सर्वाधिक 4,51,296 सैंपल जांच के लिए उठाए गए लेकिन इन सैंपल के पास या फेल होने का ब्यौरा उपलब्ध नहीं हो सका। एफएसएसएआई द्वारा डाटा एकत्रित किया जा रहा है।
दुनिया में सबसे ज्यादा लैब भारत में
एफएसएसएआई के मुताबिक विभिन्न देशों में खाद्य उत्पाद जांच संबंधी प्रयोगशालाओं के वैश्विक परिदृश्य के मुकाबले भारत में 261 मोबाइल लैब के साथ 239 अन्य लैब हैं। ये संख्या सिंगापुर में 13, जर्मनी में 14, यूनाइटेड किंगडम में 29, यूएसए में 41, न्यूजीलैंड में 13, फ्रांस में 1, यूरोपीय संघ में 14, बेल्जियम में 2, ऑस्ट्रेलिया में 4, यूनान में 1, डेनमार्क में 2 और बेल्जियम में 2 लैब मौजूद होने के मुकाबले काफी अधिक हैं।
वर्ष 2024-2025 में फल और सब्जियों की निगरानी
एफएसएसएआई ने कहा कि वह वित्तीय वर्ष 2024-2025 में फल और सब्जियों, मछली उत्पादों में साल्मोनेला, मसाला और पाक जड़ी-बूटियों, फोर्टिफाइड चावल के साथ दूध और दूध से बने उत्पादों के लैब जांच पर जोर देगा। इस दौरान इन तमाम खाद्य पदार्थों की निगरानी करने की योजना बनाई गई है। हालांकि,90 प्रतिशत खाद्य व्यवसाय संचालक राज्य सरकारों के अधिकार क्षेत्र में आते हैं। इसलिए एफएसएस अधिनियम 2006 के प्रावधानों को लागू करना काफी हद तक राज्य सरकारों पर निर्भर है।