Women Health India: महिला स्वास्थ्य में जनऔषधि की मूक क्रांति

Women Health India: महिला स्वास्थ्य में जनऔषधि की मूक क्रांति
सस्ती और सुरक्षित पीरियड्स के लिए जनऔषधि पैड पहल
नई दिल्ली, 24 नवम्बर : सस्ते घरेलू उपायों की तुलना में महंगे सेनेटरी नैपकिन के कारण अधिकांश महिलाएं आज भी मासिक धर्म के दौरान पैड का उपयोग नहीं कर पाती हैं। इस चुनौती को देखते हुए प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना (पीएमबीजेपी) के तहत ‘जनऔषधि सुविधा सैनिटरी नैपकिन’ महज 1 रुपये प्रति पैड की दर से उपलब्ध कराए गए हैं। यह पहल महिलाओं को पीरियड्स के दौरान स्वच्छता, सुरक्षा और स्वास्थ्य सुनिश्चित करने में मदद कर रही है।
रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के फार्मास्युटिकल्स डिपार्टमेंट ने समाज के सभी वर्गों की महिलाओं को सुरक्षित और हाइजीनिक पीरियड्स केयर प्रोडक्ट्स उपलब्ध कराने की योजना शुरू की। सितंबर 2025 तक 92 करोड़ से अधिक पैड की बिक्री की जा चुकी है, जो महिला स्वास्थ्य और हाइजीन के क्षेत्र में एक मूक क्रांति के रूप में देखी जा रही है। ग्रामीण भारत में कई महिलाएं गंदे कपड़े या अन्य अस्वच्छ विकल्पों पर निर्भर थीं, जिससे उन्हें संक्रमण और स्वास्थ्य संबंधी गंभीर खतरे पैदा हो रहे थे।
सेनेटरी पैड न इस्तेमाल करने के स्वास्थ्य जोखिम

एम्स दिल्ली की स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की अध्यक्ष डॉ. नीना मल्होत्रा का कहना है कि सेनेटरी पैड का नियमित इस्तेमाल न करने से महिलाओं में संक्रमण, मासिक धर्म में दर्द और एनीमिया जैसी बीमारियां बढ़ सकती हैं। लंबे समय तक पैड लगे रहने देने से बैक्टीरिया पनप सकते हैं, जिससे यीस्ट इंफेक्शन और यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (यूटीआई) का खतरा रहता है। इसलिए पैड को हर 4-6 घंटे में बदलना आवश्यक है।
दिल्ली राज्य कैंसर चिकित्सा संस्थान की कैंसर रोग विभाग प्रमुख डॉ. प्रज्ञा शुक्ला के अनुसार खराब मेंस्ट्रुअल हाइजीन प्री-कैंसर या कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकती है। भारत में सर्वाइकल कैंसर से होने वाली सालाना लगभग 60,000 मौतों में से दो-तिहाई का कारण अपर्याप्त मासिक धर्म स्वच्छता माना जाता है।
यह पहल न केवल महिलाओं की स्वास्थ्य सुरक्षा सुनिश्चित करती है, बल्कि उन्हें सुरक्षित और स्वच्छ जीवन जीने का अधिकार भी प्रदान करती है।





