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नई दिल्ली: पूर्वोत्तर के लोगों से माफी मांगे पूर्व सरकार : सर्बानंद सोनोवाल

नई दिल्ली: -जलमार्ग के त्रि आयामी दृष्टिकोण से नदी पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा

नई दिल्ली, 6 दिसम्बर : कांग्रेस शासित पूर्व केंद्र सरकारों की निष्क्रियता और भ्रष्टाचार से जहां पूर्वोत्तर की विकास यात्रा बाधित हुई। वहीं, प्राकृतिक संपदा से भरपूर अष्टलक्ष्मी राज्य (असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मणिपुर, नागालैंड, मिजोरम, त्रिपुरा और सिक्किम) विकास की दौड़ में पिछड़ते चले गए। इस पाप के लिए कांग्रेस पार्टी को जनता से माफी मांगनी चाहिए।

यह बातें केंद्रीय जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार की प्रमुख उपलब्धियों को उजागर करने के लिए आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में शुक्रवार को कहीं। उन्होंने कहा, बीते 60 सालों में कांग्रेस ने सत्ता का दुरुपयोग किया और क्षेत्र में घुसपैठियों व आतंकियों को बढ़ावा दिया। लेकिन 2014 में एनडीए सरकार के आगमन के साथ पूर्वोत्तर भारत के विकास में जो तेजी का दौर शुरू हुआ, उससे पूर्वोत्तर के लोग गर्व महसूस कर रहे हैं। सोनोवाल ने कहा, पीएम मोदी की प्रभावी रणनीति, सुशासन और विकास से पूर्वोत्तर को भारत के विकास इंजन के रूप में फिर से जीवंत होने का मौका मिला है।

उन्होंने कहा, स्थानीय विकास की तेज गति से पूर्वोत्तर को एक नई ऊर्जा मिल रही है जो, देश के विकास के इंजन को शक्ति प्रदान करने में मदद करेगी। सरकार का प्रयास है कि पूर्वोत्तर भारत दक्षिण -पूर्व एशिया के बिजनेस प्रोडक्शन का मूल केंद्र बने। पूर्वोत्तर के वरिष्ठ नेता सोनोवाल ने आगे कहा कि क्षेत्र के विकास के लिए राष्ट्रीय राजमार्गों के विस्तार में 28% की वृद्धि हुई है। 2014 तक, इस क्षेत्र में 80 राष्ट्रीय राजमार्ग थे, जो 2023 तक बढ़कर 103 हो गए। बुनियादी ढांचा विकास योजना खर्च ₹94 करोड़ से 26 गुना बढ़कर ₹2,491 करोड़ हो गया है। रेलवे ने भी क्षेत्र में संचार में सुधार करते हुए विस्तार किया है और हर साल 193 किलोमीटर से अधिक रेल लाइनें चालू की जा रही हैं। क्षेत्र के लिए रेलवे बजट में 370% की वृद्धि हुई है।

सोनोवाल ने कहा, 2014 से इस क्षेत्र को बजट में 300% से अधिक की वृद्धि मिली है। जो 2014 में ₹36,108 करोड़ से वित्त वर्ष 2023-24 में ₹94,680 करोड़ तक पहुंच गया है। उन्होंने कहा, राष्ट्रीय जलमार्ग 2 का इस्तेमाल पारंपरिक रूप से बंगाल की खाड़ी के रास्ते दुनिया के साथ व्यापार करने के लिए किया जाता रहा है। हम इस मार्ग को भारत -बांग्लादेश प्रोटोकॉल रूट के माध्यम से पुनर्जीवित करने में सक्षम हुए हैं, जिससे पड़ोसी देशों के साथ व्यापार करना सुविधाजनक और वैश्विक बाजार तक पहुंच बनाने में आसानी हुई है। इस त्रिआयामी जलमार्ग से नदी पर्यटन की अपार संभावनाओं को बढ़ावा मिलता है। साथ ही जलमार्ग के माध्यम से व्यापार और यात्रियों की यात्रा के लिए रसद को बढ़ावा मिलता है।

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