नई दिल्ली, 26 अक्तूबर : भारत ने मॉरीशस के लिए एक ऐसा वैज्ञानिक, सटीक और सरल समुद्री नक्शा तैयार किया है जो ना सिर्फ मॉरीशस के समुद्री जहाजों की यात्रा को समुद्र में सुगम और सुरक्षित बनाएगा। बल्कि मॉरीशस के ब्लू इकोनॉमी लक्ष्यों को हासिल करने में मददगार साबित होगा।
दरअसल, समुद्री मार्ग का नक्शा बनाने में विशेषज्ञता प्राप्त भारत की नौसेना ने आईएनएस सतलुज और मॉरीशस हाइड्रोग्राफिक सर्विस के साथ मिलकर लगभग 35 हजार स्क्वायर नॉटिकल मील के बड़े इलाके का जॉइंट हाइड्रोग्राफिक सर्वे सफलतापूर्वक संपन्न कर लिया है। इस संयुक्त सर्वे से मॉरीशस को मरीन चार्टिंग, कोस्टल रेगुलेशन, रिसोर्स मैनेजमेंट और लंबे समय की एनवायर्नमेंटल प्लानिंग करने में बहुत मदद करेगी। साथ ही मॉरीशस के ब्लू इकोनॉमी लक्ष्यों को सपोर्ट मिलेगा। इस सर्वे के लिए भारत का हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण पोत आईएनएस सतलुज बीते 29 सितंबर को पोर्ट लुईस पहुंचा था।
इस दौरान आईएनएस सतलुज पर एक समारोह का आयोजन किया गया जिसमें हाइड्रोग्राफिक सर्वे की फेयर शीट औपचारिक रूप से मॉरीशस के अधिकारियों को सौंपी गई। समारोह में मॉरीशस के आवास और भूमि मंत्री शकील अहमद यूसुफ अब्दुल रजाक मोहम्मद और मॉरीशस में भारत के उच्चायुक्त अनुराग श्रीवास्तव मौजूद रहे। यह भारत और मॉरीशस के बीच 18वां जॉइंट हाइड्रोग्राफिक मिशन है – जो स्थायी समुद्री साझेदारी और सुरक्षित नेविगेशन, सस्टेनेबल महासागर प्रबंधन और क्षेत्रीय सहयोग के प्रति साझा प्रतिबद्धता का प्रमाण है। इस दौरान कैपेसिटी-बिल्डिंग प्रयासों के तहत, मॉरीशस के अलग-अलग मंत्रालयों के छह कर्मियों को आईएनएस सतलुज पर मॉडर्न हाइड्रोग्राफिक तकनीकों की हैंड्स-ऑन ट्रेनिंग प्रदान की गई।
मॉरीशस में आईएनएस सतलुज की तैनाती दोनों देशों के मध्य उन्नत वैज्ञानिक सहयोग, रणनीतिक समुद्री संबंधों और गहन समुद्री सहयोग को बढ़ावा देती है। इसका उद्देश्य नौवहन सुरक्षा को बढ़ाना, समुद्री संसाधनों का सतत प्रबंधन और हिंद महासागर क्षेत्र में क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ाना है। सर्वे के दौरान आईएनएस सतलुज ने मॉरीशस नेशनल कोस्ट गार्ड के साथ मिलकर ईईजेड सर्विलांस और एंटी-पायरेसी पेट्रोलिंग भी की।
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