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Mumbai Monorail Breaks Down: मुंबई मोनोरेल बार-बार क्यों रुकती है, जबकि दिल्ली मेट्रो इतनी भरोसेमंद है? जानें पूरा फर्क

Mumbai Monorail एक बार फिर खराब हो गई और यात्री घंटों फंसे रहे। क्या वजह है कि मोनोरेल इतनी जल्दी ठप हो जाती है जबकि दिल्ली मेट्रो रोज़ाना लाखों यात्रियों को बिना रुकावट मंज़िल तक पहुंचाती है? जानें मोनोरेल और मेट्रो रेल के बीच तकनीकी, डिज़ाइन और ऑपरेशनल फर्क।

Mumbai Monorail एक बार फिर खराब हो गई और यात्री घंटों फंसे रहे। क्या वजह है कि मोनोरेल इतनी जल्दी ठप हो जाती है जबकि दिल्ली मेट्रो रोज़ाना लाखों यात्रियों को बिना रुकावट मंज़िल तक पहुंचाती है? जानें मोनोरेल और मेट्रो रेल के बीच तकनीकी, डिज़ाइन और ऑपरेशनल फर्क।

Mumbai Monorail ठप, यात्रियों की मुश्किलें बढ़ीं

मंगलवार को Mumbai Monorail Breaks Down की घटना सामने आई। बिजली सप्लाई में खराबी के कारण पूरी लाइन घंटों बंद रही और यात्री फंसे रहे। ऐसे में सवाल उठता है कि मोनोरेल और मेट्रो में फर्क क्या है? आखिर क्यों दिल्ली मेट्रो इतनी भरोसेमंद है और मुंबई मोनोरेल बार-बार फेल हो जाती है?

Mobile Phone Bursts Into Flames In Mumbai Monorail; Passengers Safe

1. ट्रैक और स्ट्रक्चर का फर्क

  • Mumbai Monorail: एक बीम (Beam) या पिलर पर रबर टायर के जरिए चलती है।

  • मेट्रो रेल: स्टील ट्रैक पर पारंपरिक ट्रेन जैसी तकनीक से चलती है, जो ज्यादा भरोसेमंद है।

2. बिजली सप्लाई का अंतर

  • Mumbai Monorail: बिजली साइड में लगे बस-बार से मिलती है। एक जगह करंट सप्लाई रुकने पर पूरी लाइन ठप हो जाती है।

  • मेट्रो रेल: बिजली ओवरहेड कैटेनेरी से मिलती है। बैकअप सप्लाई होने के कारण पूरी लाइन बंद नहीं होती।

3. क्षमता और लोड

  • Mumbai Monorail: 4 कोच की ट्रेन में अधिकतम 1,000 यात्री सफर कर सकते हैं।

  • मेट्रो रेल: 8 कोच की ट्रेन में 2,500–3,000 यात्री आसानी से सफर कर लेते हैं।

4. मेंटेनेंस और खर्च

  • मोनोरेल: रबर टायर जल्दी घिसते हैं और मेंटेनेंस महंगा पड़ता है।

  • मेट्रो रेल: स्टील ट्रैक टिकाऊ होते हैं और मेंटेनेंस आसान रहता है।

Mumbai Monorail - Wikipedia

5. ऑपरेशनल फ्लेक्सिबिलिटी

  • मोनोरेल: बीच रास्ते में ट्रेन खराब हो जाने पर पूरी लाइन ब्लॉक हो जाती है।

  • मेट्रो रेल: सिग्नलिंग सिस्टम और टर्नआउट के जरिए खराब ट्रेन को ट्रैक से हटाना आसान होता है।

6. गड़बड़ियों का इतिहास

  • मुंबई मोनोरेल: 2014 से लगातार पावर कट और टेक्निकल फॉल्ट से जूझ रही है। अभी भी केवल 20 किमी का नेटवर्क है।

  • दिल्ली मेट्रो: 2002 से अब तक 390 किमी से ज्यादा का नेटवर्क और रोज़ाना 60–65 लाख यात्रियों की आवाजाही। बेहद कम तकनीकी गड़बड़ियां।

Mumbai Monorail और दिल्ली मेट्रो दोनों देखने में मिलती-जुलती लगती हैं, लेकिन उनकी तकनीक, क्षमता और ऑपरेशन पूरी तरह अलग हैं। यही वजह है कि जहां दिल्ली मेट्रो को भारत का सबसे भरोसेमंद पब्लिक ट्रांसपोर्ट माना जाता है, वहीं मुंबई मोनोरेल अब भी यात्रियों के लिए सिरदर्द बनी हुई है।

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