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Ramdas Athawale Exclusive interview : दलित राजनीति, आरक्षण, और सामाजिक न्याय पर बेबाक बातें
Ramdas Athawale Exclusive interview : केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले का विशेष साक्षात्कार: जानिए दलित राजनीति, सामाजिक न्याय, आरक्षण, और भविष्य की योजनाओं पर उनकी बेबाक राय, हास्य शैली में गंभीर बातें।

Ramdas Athawale Exclusive interview : केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले का विशेष साक्षात्कार: जानिए दलित राजनीति, सामाजिक न्याय, आरक्षण, और भविष्य की योजनाओं पर उनकी बेबाक राय, हास्य शैली में गंभीर बातें।
केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्यमंत्री
साक्षात्कारकर्ता: डॉ. अनिल सिंह,
संपादक, STAR Views, संपादकीय सलाहकार, टॉप स्टोरी समाचार पत्र, नई दिल्ली
लेखक: “The Prime Minister: Discourses in Indian Polity, 2025”
1.श्री आठवले, आप कई वर्षों से सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय संभाल रहे हैं। आप अपनी अब तक की यात्रा का मूल्यांकन कैसे करते हैं, और किन मूल सिद्धांतों ने आपको प्रेरित किया है?
Ramdas Athawale: यह यात्रा मेरे लिए अत्यंत संतोषजनक रही है। यह मंत्रालय बाबा साहेब डॉ. बी.आर. अंबेडकर के संवैधानिक आदर्शों—न्याय, समानता और गरिमा—पर आधारित है, विशेषकर समाज के हाशिये पर खड़े लोगों के लिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में मुझे नौ वर्षों से अधिक समय से इस पद पर सेवा करने का सौभाग्य मिला है। मेरे दल का लोकसभा में कोई सांसद न होने के बावजूद मुझे मंत्रिमंडल में जगह देना, प्रधानमंत्री जी के मेरी प्रतिबद्धता और अंबेडकरवादी मिशन पर विश्वास का परिचायक है।
हमारे मंत्रालय की सेवाओं का लाभ अनुसूचित जाति, ओबीसी, विमुक्त जनजाति, दिव्यांग, ट्रांसजेंडर, वरिष्ठ नागरिक, और अनाथ बच्चों सहित लगभग 80% आबादी तक पहुँचता है। नशामुक्त भारत अभियान, वृद्धाश्रम योजना, डे केयर सेंटर, कौशल विकास जैसे कई कार्यक्रमों के ज़रिए वंचितों को गरिमामय जीवन दिया जा रहा है।

2.दलितों और पिछड़ों के लिए आपकी सरकार ने कौन-सी विशिष्ट पहल की हैं जो पिछली सरकारों से अलग हैं?
Ramdas Athawale: अंतर नीयत और अमल में है। पिछली सरकारों ने केवल वादे किए; प्रधानमंत्री मोदी की सरकार ने उन वादों को धरातल पर उतारा। कोविड-19 के दौरान मुफ्त राशन, जन-धन योजना और मुद्रा लोन जैसे कार्यक्रमों के ज़रिए 25 करोड़ से अधिक लोग गरीबी रेखा से बाहर आए हैं।
हमने दलितों के प्रतिनिधित्व को संस्थागत स्वरूप दिया है। दिल्ली में 26 अलीपुर रोड पर डॉ. अंबेडकर मेमोरियल और अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर स्थापित किया गया है। मुंबई में 3600 करोड़ रुपए की ज़मीन पर बाबा साहेब की 450 फुट ऊंची मूर्ति का भव्य स्मारक बनाया जा रहा है—यह सिर्फ स्मारक नहीं, ऐतिहासिक न्याय की गवाही है।

3.क्या आरक्षण के इतने वर्षों बाद भी जातिगत भेदभाव समाज में मौजूद है?
Ramdas Athawale: भेदभाव समाप्त नहीं हुआ, इसका स्वरूप बदल गया है। शहरों में जागरूकता बढ़ी है, लेकिन ग्रामीण इलाकों में अस्पृश्यता और सामाजिक बहिष्कार अभी भी मौजूद है।
अत्याचार के मामले बढ़ने का अर्थ दलितों की जागरूकता और मुखरता भी है। अब वे शिकायत करने में डरते नहीं। वे जानते हैं कि संविधान और लोकतंत्र उनके साथ खड़े हैं, जो स्वयं एक बड़ा बदलाव है।
4.समान अवसर आयोग की मांग लंबे समय से है। क्या सरकार इसे स्थापित करने पर विचार कर रही है?
Ramdas Athawale: यह विचार निश्चित रूप से विचारणीय है। अभी कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है, लेकिन मैं इसे सरकार के भीतर ज़ोरदार ढंग से उठाऊंगा।
5.दलित अत्याचारों में त्वरित न्याय के लिए मंत्रालय ने कौन-सी व्यवस्था की है?
Ramdas Athawale: कानून-व्यवस्था राज्य का विषय है, लेकिन मंत्रालय ने राज्यों को निर्देश दिया है कि वे SC/ST एक्ट के तहत अत्याचारों की समीक्षा करें। दक्षता समितियों द्वारा जागरूकता और पीड़ितों के पुनर्वास की व्यवस्था की जा रही है।
6.NDA के लंबे समय से सदस्य और छोटे सहयोगी दल होने के नाते क्या आपको उचित सम्मान मिला है?
Ramdas Athawale: बिल्कुल। प्रधानमंत्री मोदी ने हमेशा मेरा और मेरे दल का सम्मान किया। मेरे योगदान को उन्होंने कभी संख्या से नहीं बल्कि वैचारिक प्रतिबद्धता से मापा। यही उनकी खूबी है।
7.दलित राजनीति आंदोलनों से संस्थागत बातचीत की ओर बढ़ रही है। इस बदलाव को आप कैसे देखते हैं?
Ramdas Athawale: दलित राजनीति अब ज़मीनी संघर्ष से आगे बढ़कर शिक्षा, प्रतिनिधित्व और उद्यमिता पर केंद्रित हुई है। विरोध की भाषा अब नीति संवाद में बदल गई है।
8.भारत ने डॉ. अंबेडकर के संवैधानिक दृष्टिकोण को कितना साकार किया है?
Ramdas Athawale: हमने बहुत लंबा सफर तय किया है, पर यात्रा अभी जारी है। मोदी जी के नेतृत्व में सामाजिक समरसता, गरीबी उन्मूलन और वैश्विक प्रतिष्ठा हासिल हुई है। बाबा साहेब का सपना अब दूर की गूंज नहीं, हकीकत बन रहा है।
9.आप राजनीति में कविता और व्यंग्य के लिए जाने जाते हैं। गंभीर राजनीति में हास्य की भूमिका क्या है?
Ramdas Athawale: हास्य तनाव कम करता है, संवाद बढ़ाता है। मेरे व्यंग्यात्मक कविता पाठ अक्सर पार्टी लाइन से हटकर भी तालियाँ बटोरते हैं। जैसे:
“जब तक मोदी जी का चला रहेगा आंधी-तूफान,
प्रधानमंत्री नहीं बनेंगे राहुल गांधी जी महान।
दादी-नानी पूछ रही हैं बड़े-बड़े सवाल,
राहुल शादी कब करेंगे, कब पकड़ेंगे किसी का हाथ?”
10.क्या सामाजिक न्याय की मौजूदा व्यवस्था नई चुनौतियों के लिए पर्याप्त है?
Ramdas Athawale: ढांचा मजबूत है, पर समसामयिक असमानताओं के अनुरूप इसे विकसित होना चाहिए। आर्थिक न्याय, डिजिटल समावेशन, पर्यावरण और लैंगिक न्याय अब इसके हिस्से हैं।
11.निजी क्षेत्र में आरक्षण लागू करने की योजना है?
Ramdas Athawale: हम लगातार यह मांग उठा रहे हैं। निजीकरण के दौर में आरक्षण कम हो रहा है, यह चिंता की बात है। सरकार इस पर गंभीरता से विचार कर रही है।
12.आपके दल के राष्ट्रीय विस्तार की क्या योजना है?
Ramdas Athawale: RPI का पूर्वोत्तर में विस्तार हुआ है। अगले कुछ वर्षों में पांच राज्यों में मान्यता प्राप्त करने का लक्ष्य है। महाराष्ट्र और बिहार जैसे राज्यों में संगठन मजबूत किया जा रहा है।
13.विपक्षी गठबंधन ‘INDIA’ क्या वास्तव में दलित हितों की सेवा करता है?
Ramdas Athawale: उनकी बातों में दम कम और दिखावा ज्यादा है। मोदी सरकार ज़मीन पर वास्तविक बदलाव ला रही है।
14.महाराष्ट्र विधानसभा (2025) और लोकसभा (2029) चुनाव के लिए आपकी क्या योजना है?
Ramdas Athawale: 2029 में लोकसभा लड़ना चाहता हूँ। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव (2025) में 10-15 सीटों पर हमारा लक्ष्य रहेगा।
15.दलित युवाओं को आपका संदेश?
Ramdas Athawale: अपने महत्व को पहचानो। संविधान तुम्हारी ताकत है, शिक्षा तुम्हारा हथियार है। युवा नेतृत्व में ही भारत का भविष्य सुरक्षित है।