Koneru Humpy: जानें कौन हैं भारत की ग्रैंडमास्टर, जिन्होंने दूसरी बार जीता विश्व रैपिड शतरंज का खिताब
भारतीय ग्रैंडमास्टर कोनेरू हम्पी ने दूसरी बार विश्व रैपिड शतरंज चैंपियनशिप का खिताब जीता। जानें उनकी प्रेरणादायक कहानी और पिता के सपने को साकार करने का सफर।
Koneru Humpy: दूसरी बार विश्व रैपिड शतरंज चैंपियनशिप जीतने वाली भारतीय ग्रैंडमास्टर
भारतीय ग्रैंडमास्टर Koneru Humpy ने अपनी उपलब्धियों में एक और मील का पत्थर जोड़ते हुए विश्व रैपिड शतरंज चैंपियनशिप 2023 का खिताब अपने नाम कर लिया है। उन्होंने फाइनल मुकाबले में इंडोनेशिया की इरीन सुकंदर को हराकर यह जीत हासिल की।
पहली बार 2019 में जीता खिताब
Koneru Humpy ने इससे पहले 2019 में विश्व रैपिड शतरंज चैंपियनशिप का खिताब जीता था। वह चीन की जू वेनजुन के बाद यह खिताब दो बार जीतने वाली दुनिया की दूसरी महिला शतरंज खिलाड़ी हैं।
पिता के सपने को बनाया हकीकत
Koneru Humpy का जन्म 31 मार्च 1987 को आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा में हुआ। उनके पिता अशोक कोनेरू, जो खुद भी एक शतरंज खिलाड़ी थे, ने बेटी के लिए बड़े सपने देखे थे।
नाम के पीछे की कहानी
पिता ने बेटी का नाम ‘हम्पी’ रखा, जिसका अर्थ ‘विजयी’ होता है। अशोक कोनेरू ने बेटी को शतरंज में प्रशिक्षित करने के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी। उनकी मेहनत का नतीजा है कि हम्पी आज विश्व मंच पर भारत का नाम रोशन कर रही हैं।
Koneru Humpy का सफर: छोटी उम्र से बड़े मुकाम तक
शुरुआत में ही मिली सफलता
हम्पी ने सिर्फ छह साल की उम्र में शतरंज खेलना शुरू किया और नौ साल की उम्र में ही राष्ट्रीय स्तर पर तीन स्वर्ण पदक जीत लिए।
वर्तमान में स्थिति
कोनेरू हम्पी ओएनजीसी में चीफ मैनेजर के पद पर कार्यरत हैं। उनके पति, अवनेश, एक सॉफ्टवेयर कंपनी में काम करते हैं।
दूसरी बार खिताब जीतने पर कोनेरू ने क्या कहा?
खिताब जीतने के बाद हम्पी ने अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहा:
“मैं बहुत उत्साहित हूं और यह मेरे लिए अप्रत्याशित है। पूरे साल मेरा प्रदर्शन संघर्षपूर्ण रहा था, लेकिन इस खिताब ने मेरे लिए चीजें बदल दी हैं।”
Koneru Humpy: प्रेरणा का स्रोत
कोनेरू हम्पी की कहानी न केवल उनकी मेहनत और प्रतिभा की मिसाल है, बल्कि यह पिता-पुत्री के सपने को साकार करने की प्रेरणा भी देती है। उनकी यह जीत भारत में शतरंज को नई ऊंचाइयों तक ले जाने का मार्ग प्रशस्त करेगी।