राजनीती : अमेरिका और चीन के बीच भारत की संतुलित नीति “ डॉ अनिल सिंह एडिटर स्टार व्यूज नई दिल्ली
राजनीती : अमेरिका और चीन के बीच भारत की संतुलित नीति “ डॉ अनिल सिंह एडिटर स्टार व्यूज नई दिल्ली

राजनीती : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण साक्षात्कार दिया, जिसे “पीएम का पोस्टकार्ड” कहा जा रहा है। इस बातचीत में उन्होंने अमेरिका और चीन के प्रति भारत की सूक्ष्म कूटनीतिक नीति को स्पष्ट किया। यह इंटरव्यू अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी सराहा गया, क्योंकि इसमें भारत की बढ़ती आत्मनिर्भरता और कूटनीतिक कौशल को दर्शाया गया था। मोदी की इस स्पष्ट और संतुलित कूटनीति ने वैश्विक स्तर पर भारत की मजबूत स्थिति को रेखांकित किया।
मोदी का रुख अमेरिका के प्रति मित्रवत लेकिन संतुलित रहा। उन्होंने लोकतांत्रिक मूल्यों, आर्थिक सहयोग और रणनीतिक साझेदारी को रेखांकित किया। प्रधानमंत्री ने यह स्पष्ट किया कि भारत अमेरिका का महत्वपूर्ण सहयोगी है, लेकिन किसी भी महाशक्ति के प्रभाव में नहीं रहेगा। उन्होंने यह संदेश दिया कि भारत एक स्वतंत्र और आत्मनिर्भर राष्ट्र के रूप में साझेदारी करेगा, न कि किसी का अनुयायी बनेगा।
वहीं, चीन को लेकर मोदी के बयान सतर्क लेकिन दृढ़ रहे। उन्होंने भारत-चीन संबंधों की जटिलता को स्वीकार किया, विशेष रूप से सीमा विवाद और आर्थिक प्रतिस्पर्धा के संदर्भ में। प्रधानमंत्री ने संवाद और निवारण की नीति अपनाने की बात कही, जिससे यह संकेत मिला कि भारत अपनी क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए पूरी तरह तैयार है, लेकिन तनाव बढ़ाने के बजाय बातचीत के रास्ते को खुला रखना चाहता है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मोदी की इस कूटनीतिक रणनीति की व्यापक सराहना हुई। विश्लेषकों का मानना है कि यह बयान भारत की बहुध्रुवीय वैश्विक दृष्टि को दर्शाता है, जिसमें भारत अपने कूटनीतिक प्रभाव और भू-राजनीतिक ताकत का उपयोग करते हुए प्रमुख शक्तियों के बीच संतुलन बनाए रखने का प्रयास कर रहा है। इस दृष्टिकोण ने भारत को एक ऐसे महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में स्थापित किया है जो प्रभावी वैश्विक संबंध बना सकता है, बिना अपनी रणनीतिक स्वतंत्रता को खोए।
हालांकि, भारत में विपक्षी दलों ने मोदी के इस इंटरव्यू पर तीखी प्रतिक्रिया दी। विपक्ष ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री ने चीन द्वारा भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ के मुद्दे पर स्पष्ट रुख नहीं अपनाया और अमेरिका से संबंधों में भारत की स्वायत्तता पर सवाल उठाया। विपक्षी नेताओं ने कहा कि मोदी की बयानबाजी और जमीनी हकीकत के बीच अंतर है, और उन्होंने भारत की विदेश नीति से जुड़े गंभीर मुद्दों को हल्के में लिया है।
इन आलोचनाओं के बावजूद, “पीएम का पोस्टकार्ड” संवाद वैश्विक मंच पर भारत की एक सशक्त, आत्मविश्वासी और स्वतंत्र कूटनीतिक छवि प्रस्तुत करता है। मोदी का संदेश अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह आश्वासन देता है कि भारत एक संतुलित विदेश नीति को अपनाएगा, जिसमें प्रतिबद्धताओं का सम्मान होगा लेकिन किसी भी महाशक्ति के दबाव में नहीं आएगा। यह संतुलन विशेष रूप से इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भारत की भूमिका को और मजबूत करेगा।
मोदी द्वारा स्पष्ट की गई विदेश नीति आने वाले वर्षों में अमेरिका और चीन के साथ भारत के संबंधों को प्रभावित करेगी। अमेरिका के साथ भारत की रणनीतिक साझेदारी और गहरी हो सकती है, क्योंकि दोनों देश लोकतांत्रिक मूल्यों और सुरक्षा हितों को साझा करते हैं। वहीं, चीन के प्रति मोदी की कूटनीतिक लेकिन दृढ़ नीति से सीमावर्ती तनाव को नियंत्रित करने और भारत की रक्षा तैयारियों को और मजबूत करने में मदद मिलेगी।
निष्कर्षतः, “पीएम का पोस्टकार्ड” इंटरव्यू भारत की विकसित होती विदेश नीति का स्पष्ट संकेत देता है, जिसमें रणनीतिक स्वायत्तता और सहयोगात्मक जुड़ाव के बीच संतुलन बनाए रखा गया है। भले ही विपक्षी दल इस नीति की आलोचना करें, लेकिन वैश्विक परिप्रेक्ष्य में यह कूटनीतिक रुख भारत के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है। मोदी की संतुलित और आत्मनिर्भर कूटनीति ने भारत को अमेरिका और चीन जैसी महाशक्तियों के बीच एक सशक्त वैश्विक खिलाड़ी के रूप में स्थापित करने में मदद की है।
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