नई शल्य चिकित्सा तकनीक व ब्रेन शंट प्रबंधन से ब्रेन टीबी का इलाज संभव
-सर गंगाराम अस्पताल ने मस्तिष्क के ऑक्सीजनकरण को मापने की नवीन विधि की विकसित

नई दिल्ली, 1 मई (टॉप स्टोरी न्यूज़ नेटवर्क): केंद्रीय तंत्रिका तंत्र -ट्यूबरक्लोसिस (सीएनएसटीबी) या ब्रेन टीबी से संबंधित चुनौतियों और समाधानों को लेकर सर गंगाराम अस्पताल ने एक सम्मेलन का आयोजन किया जिसमें न्यूरोसर्जरी, न्यूरोलॉजी, रेस्पिरेटरी मेडिसिन, क्रिटिकल केयर और रेडियोलॉजी सहित विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों ने भाग लिया। इस दौरान सी.एन.एस.टी.बी. के शीघ्र निदान की सुविधा के लिए डिजाइन की गई एक नैदानिक स्कोरिंग प्रणाली का अनावरण किया जो डॉक्टरों को टीबी के संभावित मरीजों की जल्दी से पहचान करने में सक्षम बनाती है।
सम्मेलन के दौरान ब्रेन शंट प्रबंधन के लिए सर गंगाराम अस्पताल की टीम को अनुदान प्रदान किया गया। इस टीम ने मस्तिष्क के ऑक्सीजनकरण को मापने की एक नवीन विधि विकसित की है, जो मस्तिष्क शंट प्रबंधन के परिणाम की भविष्यवाणी करने में मदद करती है। इस दौरान स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने भारत में विकसित एक नई स्वदेशी शल्य चिकित्सा तकनीक पर भी चर्चा की, जिससे रोगी के स्वास्थ्य में सुधार करने में आशाजनक परिणाम मिले हैं। उन्होंने ब्रेन शंट प्रबंधन को दिमागी टीबी के लिए प्राथमिकता वाला उपचार बताया।
सर गंगाराम अस्पताल के डॉ. समीर कालरा ने कहा, दिमाग में होने वाली टीबी को ब्रेन टीबी या मेनिनजाइटिस भी कहा जाता है। यह एक बैक्टीरियल इंफेक्शन है, जो माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक बैक्टीरिया की वजह से होता है। उन्होंने कहा अगर टीबी का सही समय पर और सही तरीके से इलाज न कराया जाए तो यह बैक्टीरिया खून के जरिए शरीर के दूसरे अंगों में भी फैल सकता है। कई बार यह बैक्टीरिया दिमाग और रीढ़ की हड्डी पर भी हमला कर देता है, जिससे ब्रेन टीबी हो जाता है।
क्या है शंट तकनीक
वेंट्रिकुलोपेरिटोनियल शंटिंग मस्तिष्क की गुहाओं (वेंट्रिकल्स या हाइड्रोसिफलस ) में अतिरिक्त मस्तिष्कमेरु द्रव (सीएसएफ) के इलाज के लिए की जाने वाली सर्जरी है। टीबी भारत में एक प्रमुख स्वास्थ्य समस्या बनी हुई है, जिससे हर साल लगभग 2 लाख 20 हजार मौतें होती हैं। इस मुद्दे से निपटने के लिए, भारत सरकार ने 2025 तक देश से ट्यूबरक्लोसिस को खत्म करने के लक्ष्य के साथ राष्ट्रीय ट्यूबरक्लोसिस उन्मूलन कार्यक्रम शुरू किया है।