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करोड़ों की संपत्ति हड़पने का दो भाईयों ने किया था प्रयास

करोड़ों की संपत्ति हड़पने का दो भाईयों ने किया था प्रयास

अमर सैनी

नोएडा। 33 वर्ष पुरानी फर्म में साझेदार बने दो भाईयों पर धोखाधड़ी करके करोड़ों की संपत्ति हड़पने के प्रयास के लगे आरोपों के संबंध में पुलिस को साक्ष्य मिले हैं। मामले की जांच कर रही क्राइम ब्रांच की टीम ने विवेचना के बाद आरोपी भाईयों के खिलाफ आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल कर दिए हैं।

दिल्ली की न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी निवासी दीपक गुप्ता ने 22 जुलाई 2023 में थाना फेज-दो मुकदमा दर्ज कराया था। उन्होंने बताया था कि फेज-दो क्षेत्र स्थित होजरी काम्प्लेक्स में मोडा ककटेल नाम से फैक्ट्री है। इसमें टेक्सटाइल रेडिमेट का कार्य किया जाता है। पार्टनरशिप फर्म में मां रीता गुप्ता 15 प्रतिशत, दीपक गुप्ता 15 प्रतिशत, शरद गुप्ता 35 प्रतिशत, शरद के भाई संगीत गुप्ता निवासी न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी दिल्ली 30 प्रतिशत व सतीश गुप्ता पांच प्रतिशत के भागीदार थे। दीपक गुप्ता ने पुलिस को बताया था कि हौजरी काम्प्लेक्स में 1950 वर्ग गज का औद्योगिक भूखंड फर्म का हिस्सा नहीं है। सतीश गुप्ता, शरद गुप्ता और संगीत गुप्ता सिर्फ फर्म में साझेदार थे। दीपक ने आरोप लगाया कि वर्ष 2019 में मां रीता गुप्ता की मौत के बाद शरद गुप्ता व संगीत गुप्ता ने फर्जी तरीके से दस्तावेजों में छेड़छाड़ करके भूखंड को मैसर्स मोडा ककटेल पार्टनरशिप की संपत्ति के रूप में दर्ज करा लिया। दीपक गुप्ता ने उसी दिन दोनों के खिलाफ एक और मुकदमा दर्ज कराया था। इसके बाद छह फरवरी को दीपक गुप्ता और उनके पिता राजेंद्र गुप्ता ने सात फरवरी 2024 में दो मुकदमे दर्ज कराए थे। चारों मुकदमों की विवेचना क्राइम ब्रांच द्वारा की गई। क्राइम ब्रांच के डीसीपी शक्ति मोहन अवस्थी ने बताया कि दोनों आरोपी भाईयों के खिलाफ विवेचना के दौरान पर्याप्त साक्ष्य मिले हैं। आरोपी संगीत गुप्ता और शरद गुप्ता ने दीपक गुप्ता व उनके पिता राजेंद्र गुप्ता के फर्जी हस्ताक्षर करके फर्जी दस्तावेज तैयार कराकर उनका इस्तेमाल किया। दोनों आरोपियों के खिलाफ साक्ष्यों के आधार पर आरोप पत्र तैयार कर न्यायालय में सौंप दिया है।

रीता गुप्ता ने वर्ष 1991 में शुरू की थी फर्म

शिकायतकर्ता दीपक गुप्ता ने पुलिस को बताया कि उनकी मां रीता गुप्ता ने वर्ष 1991 में सोल सोल प्रोपराइटरी फर्म मैसर्स मोडा ककटेल बनाई। इस फर्म के कार्य की शुरुआत उन्होंने दिल्ली के संतनगर से की। कारोबार बढ़ने पर उन्होंने जून 2002 में में हौजरी काम्प्लेक्स में 1950 वर्ग मीटर का भूखंड मैसर्स रितुराज टेक्सटाइल एंड जनरल इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड से 76 लाख रुपये में खरीदा था। इसके बाद रीता गुप्ता ने अपनी प्रोपराइटरशिप फर्म मैसर्स मोडा ककटेल का सभी टेक्सटाइल रेडीमेंट कार्य नोएडा में शिफ्ट कर दिया था।

नोएडा प्राधिकरण में दिए प्रार्थना पत्र से हुई जानकारी

रीता गुप्ता की मौत अगस्त 2019 में हो गई थी। भूखंड को अपने नाम कराने के लिए रीता गुप्ता के पति राजेंद्र गुप्ता व उनकी पुत्री ज्योति गुप्ता ने प्रार्थना पत्र नोएडा प्राधिकरण में दिया। उन्होंने पता चला कि फर्म के संविधान को फर्जी तरीके से बदलकर फर्म की संपत्ति के रूप में दर्ज करा लिया है। जांच में यह भी पता चला कि दोनों आरोपियों ने रीता गुप्ता का फोटो लगाकर फर्जी हस्ताक्षर करके बैंक से साज करके रीता गुप्ता के हस्ताक्षर वर्ष 2019 में सत्यापित कराकर संविधान कराना दिखाया। आरोपियों ने 40 करोड़ के भूखंड के संबंध में स्टांप ड्यूटी भी जमा नहीं कराई। शिकायतकर्ता ने जब आरोपियों से कहा तो उन्होंने गाली-गलौज करते हुए जान से मारने की धमकी दी।

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