नई दिल्ली, 12 सितम्बर : कोहनी, कलाई, कंधे, हाथ की उंगलियों के पोर, कूल्हे और घुटने के दर्द से पीड़ित मरीजों के लिए अच्छी खबर आई है। जिसके तहत राम मनोहर लोहिया (आरएमएल) अस्पताल में ‘क्रायोथेरेपी’ की शुरुआत हो गई है। इस थेरेपी के जरिये मरीजों को महज दो – तीन सिटिंग में ही जोड़ों के दर्द से राहत मिल सकती है।
इस अत्याधुनिक थेरेपी का शुभारंभ, चिकित्सा अधीक्षक डॉ अजय शुक्ला ने वीरवार को आयोजित ‘विश्व फिजियोथेरेपी सप्ताह’ (5-12 सितम्बर) के समापन समारोह के दौरान किया। इस अवसर पर फिजियोथेरेपी विभाग की एचओडी डॉ पूजा सेठी ने बताया कि गठिया, ऑस्टियोआर्थराइटिस, संक्रामक अर्थराइटिस, ऑटोइम्यून विकार, ल्यूपस, बर्साइटिस, टेंडिनाइटिस जैसे रोग व्यक्ति के जोड़ों में सूजन और दर्द की वजह होते हैं। इस दर्द को क्रायोथेरेपी की दो से तीन सिटिंग में ठीक होते देखा गया है।
डॉ सेठी ने बताया कि सप्ताह भर चले अभियान के दौरान एमबीबीएस और नर्सिंग छात्रों के लिए एर्गोनॉमिक्स और पोस्चरल केयर पर व्याख्यानों के साथ नुक्कड़ नाटक भी आयोजित किए गए। इसके अलावा मरीजों को पीठ दर्द होने के कारणों और पीठ दर्द रोकने के उपायों की जानकारी दी गई। इस दौरान करीब 200 मरीजों की फिजियोथेरेपी भी की गई। कार्यक्रम में अतिरिक्त एमएस डॉ. बीके कुंडू, डॉ. नीरा शर्मा और डॉ. आरके मोदी के साथ डॉ. पूजा, डॉ. श्वेता, डॉ. सुमित, डॉ. मेघा, डॉ. मानसी, डॉ. आशू, डॉ. पवन और डॉ. शीना प्रमुख रूप से मौजूद रहे।
क्या है क्रायोथेरेपी?
क्रायोथेरेपी एक ऐसी थेरेपी है जिसमें क्रायोप्रोब नाम के उपकरण का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें अत्यंत ठंडे तरल पदार्थ के माध्यम से शरीर के जोड़ों के असामान्य ऊतक को ‘फ्रीज’ करके नष्ट किया जाता है। इसके लिए माइनस 30 डिग्री तक की कूल एयर की मदद ली जाती है। इस थेरेपी को क्रायोसर्जरी भी कहा जाता है जिससे शरीर में होने वाली ऐंठन और नसों में दर्द का भी इलाज हो सकता है।