जीएसटी धोखाधड़ी में ओडिशा से 48वीं गिरफ्तारी
जीएसटी धोखाधड़ी में ओडिशा से 48वीं गिरफ्तारी
अमर सैनी
नोएडा। 2600 से अधिक फर्जी कंपनियां खोलकर भारत सरकार के राजस्व को 15 हजार करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान पहुंचाने वाले गिरोह के एक और सदस्य को ओडिशा से गिरफ्तार किया गया है। नोएडा पुलिस ने उस पर 25 हजार रुपये का इनाम घोषित किया था। इस मामले में नोएडा पुलिस द्वारा की गई यह अब तक की 48वीं गिरफ्तारी है। खास बात यह है कि अभी तक किसी भी आरोपी को जमानत नहीं मिली है।
डीसीपी क्राइम शक्ति मोहन अवस्थी ने बताया कि पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए सदस्य की पहचान नौपारा ओडिशा निवासी परमेश्वर नायक के रूप में हुई है। उसने भी फर्जी तरीके से इनपुट टैक्स क्रेडिट लेकर धोखाधड़ी की थी। लंबे समय से वांछित होने के कारण उस पर 25 हजार रुपये का इनाम घोषित था। पुलिस के अनुसार उसके पास से फर्जी फर्म लेटर पैड, रेंट एग्रीमेंट, आधार कार्ड, पैन कार्ड आदि बरामद हुए हैं। इनका इस्तेमाल फर्जी कंपनियां बनाकर इनपुट टैक्स क्रेडिट लेने के लिए दस्तावेजों में किया जाता था।इस जीएसटी फर्जीवाड़े में नोएडा पुलिस अब तक 36 आरोपियों पर गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई कर चुकी है। नोएडा पुलिस अब इन आरोपियों की चल-अचल संपत्ति की पहचान कर उसे जब्त करने की कार्रवाई करेगी। कई आरोपियों की संपत्ति की पहचान भी नोएडा पुलिस ने कर ली है। इस मामले में अब तक कुल 48 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। नोएडा पुलिस की प्रभावी पैरवी के चलते पिछले एक साल से इस मामले में किसी भी आरोपी को जमानत नहीं मिल पाई है। पुलिस ने कई आरोपियों पर इनाम भी घोषित किया है।
कई आरोपियों के विदेश में होने की आशंका
धोखाधड़ी में शामिल कई आरोपी अपने परिवार समेत विदेश भाग गए हैं। नोएडा पुलिस को सूचना मिली है कि कुछ आरोपियों ने दुबई व अन्य जगहों पर अपने ठिकाने बना लिए हैं। पुलिस उनकी गिरफ्तारी के लिए ओपन डेटेड वारंट जारी करने की तैयारी कर रही है। रेड कॉर्नर नोटिस पहले ही जारी किया जा चुका है। ओपन डेटेड वारंट जारी होने के बाद नोएडा पुलिस या तो विदेश जाकर आरोपियों को गिरफ्तार करेगी या फिर इंटरपोल की मदद से वांछित आरोपियों तक पहुंचने का प्रयास किया जाएगा।
ऐसे करते थे ठगी
आरोपी देश के अलग-अलग जगहों पर रहने वाले लाखों लोगों के पैन कार्ड और आधार कार्ड के डेटा के आधार पर फर्जी कंपनियां खोलते थे। ये कंपनियां और फर्म सिर्फ कागजों पर ही अस्तित्व में थीं। इसके बाद जीएसटी नंबर हासिल कर, फर्जी बिल बनाकर और जीएसटी रिफंड हासिल कर सरकार को करोड़ों का चूना लगाते थे। जांच में पता चला है कि जालसाज डिमांड पर जीएसटी नंबर वाली फर्जी कंपनियां बेचते थे। इन कंपनियों के नाम पर पैसा जमा कराकर कालेधन को सफेद किया जा रहा था। गिरोह में शामिल इनामी समेत कई अन्य आरोपी अभी भी पुलिस की पहुंच से दूर हैं। फरार आरोपियों की तलाश में नोएडा पुलिस की चार टीमें दिल्ली और उत्तर प्रदेश समेत अन्य संभावित ठिकानों पर दबिश दे रही हैं। कई आरोपियों की चल-अचल संपत्ति भी जब्त की गई है।