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वन विभाग राज्य में वन क्षेत्र को बढ़ाने के लिए जापानी एजेंसी के साथ करेगा तालमेल: लाल चंद कटारूचक

वन विभाग राज्य में वन क्षेत्र को बढ़ाने के लिए जापानी एजेंसी के साथ करेगा तालमेल: लाल चंद कटारूचक

जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी की सहायता से राज्य में एग्रोफॉरेस्ट्री और जैव विविधता से संबंधित प्रोजेक्ट लागू करने का प्रस्ताव

रिपोर्ट :कोमल रमोला

चंडीगढ़, 5 नवंबर:

मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार हमेशा से ही राज्य के पर्यावरण के संरक्षण और वन क्षेत्र को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध रही है। इसी उद्देश्य से राज्य में वर्तमान में पेड़ों और वन क्षेत्र को 2030 तक 7.5% तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। इस लक्ष्य की पूर्ति के लिए राज्य सरकार द्वारा जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (जापानी एजेंसी) से संपर्क कर एक महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट पंजाब में लाने के प्रयास किए जा रहे हैं।

इस उद्देश्य के लिए वन एवं वन्यजीव संरक्षण मंत्री श्री लाल चंद कटारूचक द्वारा वन विभाग के अधिकारियों और जापानी अधिकारियों के साथ इसकी समीक्षा की गई।

राज्य में एग्रोफॉरेस्ट्री के माध्यम से पेड़ों के नीचे का क्षेत्र बढ़ाना और जैव विविधता को संरक्षित और बढ़ाना एक बड़ी चुनौती है। इन चुनौतियों को हल करने के लिए वन विभाग द्वारा इस जापानी एजेंसी से संपर्क किया गया है। इस एजेंसी की सहायता से राज्य में एग्रोफॉरेस्ट्री और जैव विविधता से संबंधित प्रोजेक्ट लागू करने का प्रस्ताव है। इस प्रोजेक्ट की कुल लागत 792.88 करोड़ रुपये होगी।

प्रोजेक्ट के कुछ मुख्य उद्देश्य में राज्य में एग्रोफॉरेस्ट्री के माध्यम से पेड़ों के नीचे का क्षेत्र बढ़ाना, भूजल संरक्षण, किसानों की आय में वृद्धि करना, और पराली से होने वाले वायु प्रदूषण को रोकना। इसके अलावा शिवालिक क्षेत्र में एकीकृत वॉटरशेड प्रबंधन भी शामिल है।

इस उद्देश्य के लिए पर्यावरण और वन संरक्षण में सुधार के साथ-साथ लोगों की आय के लिए कृषि और पशुपालन को विकसित किया जाएगा। इकोटूरिज्म को बढ़ावा देना – ताकि स्थानीय अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन मिल सके और जैव विविधता की संभाल के साथ राज्य के वेटलैंड्स में सुधार करना भी इस प्रोजेक्ट का एक अहम हिस्सा हैं।

राज्य सरकार से स्वीकृति के बाद, भारत सरकार का पर्यावरण मंत्रालय, उपरोक्त जापानी एजेंसी और पंजाब का वन विभाग मिलकर विस्तृत प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करेंगे और इसे अंतिम रूप देंगे। यह प्रोजेक्ट वित्तीय वर्ष 2025-26 से पांच वर्षों की अवधि के लिए लागू किया जाएगा।
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